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सतना

दुश्मन के 1 फायर से फटा जैकेट में रखा ‘ग्रेनेड’, सीने-हाथ में धंसे 75 छर्रे

MP News: कैप्टन वरुण के जैकेट में रखे दो ग्रेनेड में से एक फट गया। 75 छर्रे सीने और दाहिने हाथ में धंसे….

सतनाAug 14, 2025 / 12:31 pm

Astha Awasthi

फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: साल 2000 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था। वुलर झील के रास्ते घुसपैठ रोकने रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के विशेष बल मार्कोस कमांडो की तैनाती की। बांदीपोरा के पुट्टू शाही गांव में सर्च ऑपरेशन में मार्कोस कमांडो वरुण सिंह ने दो आतंकी ढेर कर दिए। मरते समय दुश्मन से एक फायर हो गया। इससे कैप्टन वरुण के जैकेट में रखे दो ग्रेनेड में से एक फट गया। 75 छर्रे सीने और दाहिने हाथ में धंसे। जटिल सर्जरी के बाद जान बची। 2001 में वरुण को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।

गांव में तीसरी तक पढ़ाई

वरुण ने चूंद गांव के प्राथमिक स्कूल में तीसरी तक पढ़ाई की। इसके बाद पिता के साथ विभिन्न शहरों में केंद्रीय विद्यालय में पढ़कर उच्च शिक्षा ली। 1989 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में शामिल हो गए। 1993 में नौसेना में कमीशन मिला। पिता को चिंता थी कि आर्मी में गया तो परिवार के सदस्य अलग-अलग हो जाएंगे। नौसेना में रहा तो तीज-त्योहार पर मिल सकते हैं।

2018 में शादी की सालगिरह के दिन कैंसर निकला

वरुण बताते हैं 2018 में शादी की सालगिरह पर पत्नी रीना के साथ जश्न की तैयारी थी। तभी किडनी कैंसर का पता चला। आंतकवादियों की गोलियां तो मुझे नहीं मार पाईं, लेकिन बीमारी शरीर में फैलने लगी। वापस अस्पताल पहुंच गया। दृढ़ संकल्प, कठोर चिकित्सा और परिवार के अटूट प्रेम से जंग जीत गया। अब भारतीय नौसेना का कमोडोर बनने के 25 साल बाद सभी का आभारी हूं। मेरी बच्ची शिवानी और बेटा सार्थक एसएसबी क्वालीफाई कर निजी क्षेत्र में जॉब कर रहे हैं।

नाम वरुण, सुरक्षा भी वरुण की

कोटर तहसील क्षेत्र के चूंद गांव में 24 मार्च 1971 को जन्मे कमोडोर वरुण ने पत्रिका को बताया पिता स्व. समयलाल सिंह नौसेना में लेफ्टिनेंट और बड़े भाई अरुण सिंह पहले नेवी कमांडर थे। उनकी जन्मकुंडली में लिखा था कि मौत पानी से होगी। पिता ने कहा, तुम्हें भाग्य से सीधे मिलाते हैं। इसीलिए उन्होंने मेरा नाम वरुण रखा।

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