बेटे की पढ़ाई के लिए बेची पैतृक जमीन
अशोक चौधरी ने बताया कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी मेहनत-मशक्कत करके बेटे और बेटी को बेहतर शिक्षा और जीवन देने में लगा दी। यहां तक कि उन्होंने अपनी पैतृक जमीन तक बेटे की पढ़ाई के लिए बेच दी। उनकी कोशिशों का नतीजा ये रहा कि बेटा अतुल आज नोएडा की एक बड़ी कॉरपोरेट कंपनी में कार्यरत है, जबकि बेटी इंग्लैंड में नौकरी कर रही है।
पैरों पर खड़ा होते ही बेटे ने किया किनारा
बुजुर्ग अशोक चौधरी का दर्द छलक पड़ा जब उन्होंने बताया कि जैसे ही बेटा अपने पैरों पर खड़ा हुआ, उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसी बीच अशोक चौधरी को कैंसर ने घेर लिया और रिटायरमेंट के बाद मिली जमा पूंजी भी इलाज में खत्म हो गई। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बुजुर्ग को खाने तक के लाले पड़ गए हैं। वो एक छोटी सी कोठरी में अकेले जीवन के अंतिम पड़ाव पर फाकाकशी कर रहे हैं।
सरकारी अफसरों और सीएम तक लगाई गुहार
अशोक चौधरी ने बताया कि वह अपने बेटे की उपेक्षा से टूट चुके हैं। इलाज और भरण-पोषण की जिम्मेदारी के लिए वह जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक को शिकायती पत्र भेज चुके हैं। बावजूद इसके अभी तक कोई मदद नहीं मिल पाई है। इंसाफ की उम्मीद में दिन गिन रहे हैं बुजुर्ग
आज एक पिता जिसने अपने बच्चों को सब कुछ न्योछावर कर बेहतर भविष्य दिया, वह खुद इंसाफ की उम्मीद में दर-दर भटक रहा है। अशोक चौधरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अंतिम उम्मीद जताई है कि उन्हें न्याय और इलाज के लिए मदद मिल सके।