कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार गर्मी के मौसम में जमीन को खाली रखना जरुरी है और गहरी जुताई भी कर सकते हैं, जिससे नई मिट्टी ऊपर आती है और कीट भी खत्म हो जाते हैं।
यदि किसान गर्मी में मूंग की फसल लेते हैं, तो हरी खाद के रूप में सनई और ढैंचा के फसल की बोवनी करें। यह फसल जब दो या तीन फीट की हो जाए, तो जमीन में पलट दें, जिससे सड़कर हरी खाद बन जाएगी, इससे जमीन को नाइट्रोजन के रूप में पोषक तत्व मिलेंगे। मूंग की फसल को भी किसान पलट सकते हैं, जो बारिश में हरी खाद बन जाएगी।
जिस प्रकार शरीर को पोषक तत्व, ऑक्सीजन की जरूरत होती है, वैसी ही जरुरत जमीन के लिए होती हैं। लगातार खेती करने से जमीन को धूप, हवा नहीं मिल पाने से अगली फसल में फंगस सहित अन्य कीट लगने लगते हैं। यदि किसान लगातार खेती कर रहे हैं, तो गोबर खाद, हरी खाद का उपयोग करना होगा, जिससे जमीन की ऊर्वरा क्षमता बनी रहे। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग से जमीन खराब हो रही है।
धनपाल सिंह तोमर, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, बीना