आयोग अध्यक्ष ने कहा कि घरौंदा आश्रम में निवासरत एक नाबालिग बालिका की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई, इसके बाद बिना वैध प्रक्रिया, अभिभावकों की अनुमति और पोस्टमार्टम के उसका देहदान बीएमसी में करा दिया गया। अन्य प्रकरणों में भी बच्चों की मौत होने पर बिना पोस्टमार्टम कराए सीधे अंतिम संस्कार कराए जाने की जानकारी प्राप्त हुई है। उन्होंने संदेह जताया कि मामला देहदान के नाम पर अंग तस्करी से जुड़ा हो सकता है। इसलिए पूरी गंभीरता से स्वतंत्र जांच कराना आवश्यक है। अध्यक्ष ने बिना वैधानिक प्रक्रिया के देहदान स्वीकार करने को लेकर बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की भूमिका की भी जांच कराने कहा है।
– यह है मामला
दरअसल 18 मई को मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य औंकार सिंह ने तिली क्षेत्र में संचालित घरौंदा आश्रम का निरीक्षण किया, जहां पता चला कि आश्रम ने करीब 10 दिव्यांगों की मौत के बाद उनका नियम विरुद्ध तरीके से बीएमसी को देहदान कर दिए। आयोग ने मामले में संज्ञान लिया और मामले की जांच के निर्देश दिए थे।
– संस्था बताए किस आधार पर किए देहदान ?
देहदान के मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी ब्रजेश त्रिपाठी ने लाइफ लाइन सर्विस सोसायटी (घरौंदा आश्रम) अधीक्षक/संचालक को नोटिस जारी 26 मई तक प्रमाण सहित स्पष्टीकरण मांगा है। त्रिपाठी ने बताया कि संस्था में निवासरत सदस्य की मौत के बाद किस आधार पर देहदान किया है, किससे अनुमति ली है, नियमों का पालन किया है या नहीं ? यह सब जानने नोटिस जारी किया है। यदि नियमों का उल्लंघन पाया गया तो संस्था की मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई के साथ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।
– परिवीक्षा अधिकारी की नौकरी खतरे में
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने विभाग की ओर से संस्थाओं में संचालित गतिविधियों की मॉनिटरिंग करे नियुक्त विधि सह परिवीक्षा अधिकारी आशीष उपाध्याय को भी नोटिस जारी किया गया है। परिवीक्षा अधिकारी से पूछा गया है कि क्या उनको संस्था की इन गतिविधियों की जानकारी विभाग, बाल कल्याण समिति को क्यों नहीं दी गई। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि यदि उक्त नियम विरुद्ध देहदान में परिवीक्षा अधिकारी की संलिप्तता या लापरवाही पाई गई तो उनकी सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी।