इन आरोपी की पुष्टि में गया पद
- देवरी नपा में 2024 से पीआइसी भंग है। इसके बावजूद अध्यक्ष वो निर्णय अपने स्तर पर लेती रहीं, जो पीआइसी के अधिकार क्षेत्र में थे। इस आरोप के साथ मस्टरकर्मियों की सूची भी शिकायतकर्ताओं ने विभाग को उपलब्ध कराए थे, जिसमें नियम विरुद्ध भुगतान पाया गया।
- नेहा जैन ने एसी खरीदी में भी जमकर भ्रष्टाचार किया। पीआइसी ने पांच नग एसी खरीदने की स्वीकृति दी थी, लेकिन दो किस्तों में 7 नग एसी खरीद लिए गए। इसमें दो एसी कहां लगाए, उनके दस्तोवज, नस्ती आदि की फाइलें नपा कार्यालय में नहीं मिलीं।
- एसी खरीदी की प्रक्रिया में दस्तावेजों से छेड़छाड़ भी की गई। ओवरराइटिंग के लिए आंकड़ों में बदलाव कर फर्जीवाड़ा किया गया।
हस्तक्षेप के आरोप लगे, बाद में शांत हुआ मामला
करीब दो माह पहले देवरी विधायक बृजबिहारी पटैरिया देवरी नपा के 12 भाजपा पार्षदों के साथ भोपाल गए थे। इस दौरान पार्षदों ने सागर विधायक शैलेंद्र जैन पर देवरी नपा के कामकाज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया था। बाद में विधायक जैन ने यह कहते ही मामले से दूरी बना ली थी कि वह भाजपा संगठन के नाते दोनों पक्षों को एक करने का प्रयास कर रहे थे। इधर देवरी विधायक ने अगस्त-2025 के मानसून सत्र में वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े इस मामले को पुरजोर तरीके से उठाया था, जिस पर नगरीय प्रशासन मंत्री ने कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
कार्रवाई होने में लग गया एक साल का समय
नपा अध्यक्ष नेहा जैन भाजपा के टिकट पर चुनाव जीती थीं और फिर अध्यक्ष बनी थीं। देवरी में अध्यक्ष समेत 13 पार्षद भाजपा और दो पार्षद कांग्रेस समर्थक हैं। जब भाजपा पार्षदों के काम नहीं हुए तो उन्होंने खिलाफत करना शुरू किया। शुरुआत में देवरी स्तर पर फिर जिला मुख्यालय पर शिकायत हुई। इसके बाद पार्षदों ने विभाग स्तर पर भी शिकायतें कीं। जब बात नहीं बनी तो भाजपा प्रदेशाध्यक्ष, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत की गई।
इधर पार्षदों ने एक-दूसरे को दिखाई मिठाई
देवरी नपाध्यक्ष पद से नेहा जैन को हटाने का आदेश जारी होते ही नपा के पार्षदों में खुशी की लहर दौड़ गई। इस दौरान वरिष्ठ पार्षद सरिता संदीप जैन बबलू के घर पहुंचकर शशि उमेश पलिया, सुनीता दामोदर लोधी, वंदना सुनील रिछारिया, संजय चौरसिया, माया सुनील प्रजापति, नीलम परशुराम साहू, नईमुद्दीन खान, काशीराम पटेल, भारतेंदु मोंटू राजपूत, गोमती नारायण बाल्मीकि आदि ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई।
क्या है धारा 41-(क)
मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 41 (क) निर्वाचित पदाधिकारियों जैसे अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पार्षद या किसी समिति के अध्यक्ष को हटाने से संबंधित है। यह राज्य सरकार को किसी पदाधिकारी को हटाने का अधिकार देती है, अगर वे सार्वजनिक हित में अवांछनीय हों, कर्तव्यों के पालन में असमर्थ हों, या अधिनियम के विरुद्ध काम कर रहे हों। किसी भी पदाधिकारी को हटाने से पहले, उसे अपना बचाव करने का उचित अवसर दिया जाता है।
क्षेत्र का विकास प्रभावित हो रहा था
देवरी नपा में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया था। क्षेत्र में विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे थे। भाजपा के साथी पार्षद परेशान हो रहे थे। इसी वजह से इस मामले को उठाया था, ताकि देवरी में व्यवस्थित व पारदर्शी तरीके से विकास हो सके। – बृजबिहारी पटैरिया, विधायक देवरी