Ghostlighting होता क्या है?
सीधे शब्दों में कहें तो Ghostlighting दो तरह के टॉक्सिक बिहेवियर का मिक्स है ‘Ghosting‘, जिसमें व्यक्ति अचानक संपर्क तोड़कर पूरी तरह गायब हो जाता है, और Gaslighting, जिसमें वह वापस आकर आपको ही गलत ठहराता है और आपकी सोच पर शक पैदा करता है। इस ट्रेंड में पार्टनर पहले बिना किसी वजह बताए रिश्ते से कट जाता है कॉल, मैसेज और सोशल मीडिया सब जगह से दूर हो जाता है। फिर अचानक लौटकर ऐसा बर्ताव करता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं, या फिर सारी गलती आप पर डाल देता है। इसका नतीजा यह होता है कि इंसान खुद पर से भरोसा खो देता है और भावनात्मक रूप से बेहद असुरक्षित महसूस करने लगता है।
क्यों खतरनाक है Ghostlighting?
आत्मविश्वास पर सीधा वार – लगातार इग्नोर और कंफ्यूजन के बाद जब पार्टनर आपको ही दोषी ठहराए, तो आपका कॉन्फिडेंस टूटना तय है। मेंटल हेल्थ पर असर – इस तरह का व्यवहार लंबे समय में एंग्जायटी, डिप्रेशन और सेल्फ-डाउट को बढ़ा देता है। इमोशनल डिस्टर्बेंस – रिश्ता है भी या खत्म हो चुका है, इस असमंजस में जीना मानसिक रूप से थका देता है।
घोस्टलाइटिंग के मुख्य संकेत
अचानक गायब हो जाना – बिना किसी वजह बताए बात करना बंद कर देना, मैसेज/कॉल का जवाब न देना। कंफ्यूजिंग सिग्नल देना – सोशल मीडिया पर आपकी पोस्ट लाइक करना लेकिन निजी तौर पर कोई बातचीत न करना। आपको ही दोषी ठहराना – जब आप वजह पूछें, तो आपका ही मज़ाक उड़ाना या कहना कि आप ज्यादा सोच रहे हैं।
उलझन में डालना – कभी पूरी तरह दूरी बना लेना, तो कभी अचानक लौटकर ऐसे बात करना जैसे सब नॉर्मल हो।
Ghostlighting से खुद को कैसे बचाएं?
रेड फ्लैग को अनदेखा न करें – अगर कोई लगातार आपको इग्नोर कर रहा है, तो उसे नॉर्मल मत मानें। स्पष्ट बातचीत करें – रिश्ते में क्या चल रहा है, यह सीधे पूछें। अगर जवाब टालमटोल वाला है, तो सावधान हो जाएं। सीमाएं तय करें – अपनी इमोशनल हेल्थ को प्राथमिकता दें और बार-बार होने वाले टॉक्सिक बिहेवियर को बर्दाश्त न करें।
सपोर्ट सिस्टम बनाएं – भरोसेमंद दोस्तों या फैमिली से बात करें, ताकि आप अकेलापन महसूस न करें।