डीएम के निर्देश पर हुई छापेमारी
जिलाधिकारी जोगिंदर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस के बाद जिला पूर्ति अधिकारी पूरन सिंह चौहान ने अपनी टीम के साथ कार्रवाई की। उन्होंने तहसील मिलक में स्थित उचित दर दुकान पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान दुकान पर साइन बोर्ड, रेट लिस्ट और अंत्योदय कार्ड धारकों की सूची तो मौजूद थी, लेकिन इनमें कोई डाटा दर्ज नहीं मिला। यह शासन की पारदर्शिता नीति और जनवितरण प्रणाली की गंभीर अनदेखी को दर्शाता है।
केवल 11.50 कुंतल राशन मिला
जांच में यह बात सामने आई कि दुकान पर केवल 15 कट्टे गेहूं और 8 कट्टे चावल का ही स्टॉक मौजूद था, जिसका कुल वजन मात्र 11.50 कुंतल था। जबकि एमआईएस पोर्टल और ई-चालान के अनुसार दुकान पर 110.11 कुंतल राशन मौजूद होना चाहिए था। इस प्रकार 98.61 कुंतल अनाज का कोई हिसाब नहीं मिला।
विक्रेता के पास नहीं था संतोषजनक जवाब
जब इस संबंध में विक्रेता से जवाब मांगा गया, तो वह कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। जिला पूर्ति अधिकारी पूरन सिंह ने स्पष्ट किया कि ई-पॉश मशीन के डिजिटल रिकॉर्ड और भौतिक स्टॉक में बड़ा अंतर सरकारी खाद्यान्न की चोरी और दुरुपयोग का मामला है। यह उत्तर प्रदेश आवश्यक वस्तु विक्रय एवं वितरण की शर्तों का सीधा उल्लंघन और दंडनीय अपराध है।
जिले के सभी विक्रेताओं को चेतावनी
जिला पूर्ति अधिकारी पूरन सिंह ने जिले के सभी उचित दर विक्रेताओं को चेतावनी दी है कि वे समय से 5 किलोग्राम प्रति यूनिट की दर से राशन का वितरण सुनिश्चित करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि किसी भी दुकान पर घटतौली, डाटा छेड़छाड़, वितरण में गड़बड़ी या सरकारी अनाज के दुरुपयोग की शिकायत मिली, तो तत्काल कठोर कार्रवाई की जाएगी।
जनता में बढ़ रहा है आक्रोश
इस मामले को लेकर आम जनता में भी आक्रोश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इतने बड़े पैमाने पर राशन गायब हो सकता है, तो गरीबों को मिलने वाला हक़ किस हद तक छीना जा रहा है, यह सोचकर ही डर लगता है।
जनवितरण प्रणाली पर उठे सवाल
इस खुलासे ने जिले में जनवितरण प्रणाली की पारदर्शिता और निगरानी को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में शासन और प्रशासन आगे क्या कदम उठाता है।