क्या है पूरा मामला?
आरोपी का नाम आरिफ उर्फ आलिम है, जिसने 2011 में बरेली के रीजनल पासपोर्ट ऑफिस से पहला पासपोर्ट बनवाया। इस पासपोर्ट में उसने अपना असली नाम ‘आरिफ खान’ और जन्मतिथि 15 जनवरी 1983 दर्ज कराई थी। यह पासपोर्ट 2021 तक वैध रहा, और मार्च 2021 में उसने इस जानकारी के साथ पासपोर्ट रिन्यू भी करवा लिया।
तीसरा पासपोर्ट – फर्जी दस्तावेजों के साथ
2023 में, आरिफ ने तीसरा पासपोर्ट बनवाया, जिसमें उसने अपना नाम ‘आलिम पुत्र अहमद अली’ और जन्मतिथि 15 मार्च 1999 लिखी। इस बार उसने फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट प्राप्त किया। विभाग ने बिना जांच के पासपोर्ट जारी कर दिया।
चौथा पासपोर्ट और विभाग की जांच
चौथे पासपोर्ट के आवेदन के दौरान पासपोर्ट विभाग ने पुराने रिकॉर्ड से मिलान किया, तो नाम, पिता का नाम और जन्मतिथि में अंतर पाया गया। जन्मतिथि में 16 साल का फर्क होने के बाद पासपोर्ट अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने इस मामले को पुलिस को सूचित किया।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
भोट थाने में आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी और पासपोर्ट अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन आरोपी फरार है। इंटेलिजेंस एजेंसियां भी इस मामले की जांच कर रही हैं, यह पता लगाने के लिए कि आरोपी ने इन पासपोर्ट्स का किसी आपराधिक गतिविधि में इस्तेमाल किया है या नहीं। यह मामला न केवल पासपोर्ट विभाग की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि इस प्रकार के फर्जीवाड़े से सुरक्षा के लिहाज से गंभीर सवाल भी खड़े करता है।