scriptदूध-दही-केसर की वर्षा में सरोबार श्रीनाथजी की हवेली, नंद महोत्सव में उमड़ा भक्तिरस | Shrinathji's mansion was drenched in a shower of milk, curd and saffron, devotion was surging in Nand Mahotsav | Patrika News
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दूध-दही-केसर की वर्षा में सरोबार श्रीनाथजी की हवेली, नंद महोत्सव में उमड़ा भक्तिरस

पुष्टिमार्गीय प्रधान पीठ प्रभु श्रीनाथजी की हवेली में रविवार को नंद महोत्सव अपार भक्ति, उल्लास और वात्सल्य रस के संगम के साथ मनाया गया।

राजसमंदAug 18, 2025 / 12:11 pm

Madhusudan Sharma

Krashan Janmastmi 2025

Krashan Janmastmi 2025

नाथद्वारा. पुष्टिमार्गीय प्रधान पीठ प्रभु श्रीनाथजी की हवेली में रविवार को नंद महोत्सव अपार भक्ति, उल्लास और वात्सल्य रस के संगम के साथ मनाया गया। जन्माष्टमी के अगले दिन आयोजित इस महोत्सव ने भक्तों को बृजधाम के अद्भुत नज़ारे का अनुभव करा दिया। जैसे ही प्रभु श्रीनाथजी और लाड़ले लाल नवनीत प्रियाजी पर दूध, दही और केसर की वर्षा हुई, पूरा वातावरण केसरिया आभा से सराबोर हो उठा। श्रद्धालु इस दिव्य वर्षा में भीगकर झूम उठे और हवेली में भक्ति-रस का अद्वितीय प्रवाह बह निकला।

छठी पूजन और स्वर्ण पलना झुलाना

सुबह परंपरागत छठी पूजन से नंद महोत्सव का शुभारंभ हुआ। परचारक विशाल बावा ने नन्हे कान्हा की मंगलमयी आयु की कामना के साथ पूजा-अर्चना की। इसके बाद नवनीत प्रियाजी को स्वर्ण पलना में विराजमान कर झुलाया गया। इस अवसर पर बड़े मुखिया इंद्रवदन ने नंद बावा और घनश्याम सांचीहार ने यशोदा मैया का रूप धारण कर वात्सल्य भाव से प्रभु को झुलाया। प्रांगण में ग्वाल-बाल और गोपियों के वेश में सेवकों ने नृत्य प्रस्तुत कर भक्तों को बृजलीला का जीवंत अनुभव कराया। दूध-दही और केसर की वर्षा के बीच नृत्य-गान ने वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दिया।

अलौकिक श्रृंगार से मोहित हुए भक्त

इस दिन प्रभु श्रीनाथजी को भव्य तीहराश्रृंगार धराया गया। केसरिया चाकदार वस्त्र, श्रीमुख पर मोर चंद्रिका और स्वर्ण-रजत अलंकरण की छटा ने दर्शन को दिव्य बना दिया। विशाल बावा और श्रीलाल बावा ने प्रभु को स्वर्ण-रजत खिलौनों से लाड़ लड़ाया और आरती उतारी।इस अलौकिक श्रृंगार ने श्रद्धालुओं के हृदयों को आनंद और भक्ति से भर दिया।

गुरु-शिष्य परंपरा का भावपूर्ण क्षण

पलना झुलाने के बाद परचारक विशाल बावा, नंद बावा रूप में इंद्रवदन को लेकर महाप्रभुजी की बैठक में गए। वहां गुरु-शिष्य परंपरा का अनुपम दृश्य सामने आया, जब विशाल बावा ने दंडवत कर आशीर्वाद लिया और इंद्रवदन ने भी गुरु स्वरूप बावा को प्रणाम कर आशीष प्रदान किया। यह भावनात्मक क्षण देखकर वैष्णवजन भाव-विभोर हो उठे।

“नंद महोत्सव प्रेम और वात्सल्य का उत्सव है” – विशाल बावा

विशाल बावा ने कहा, “नंद महोत्सव केवल परंपरा का पालन नहीं, बल्कि यह भक्ति, प्रेम और वात्सल्य का उत्सव है। इसमें ग्वाल-बाल का उल्लास, गोपियों की भक्ति और दूध-दही-केसर की वर्षा मिलकर प्रभु के साथ प्रेम का अद्भुत संगम रचते हैं।”

दिनभर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

  • सुबह से ही हवेली परिसर में दर्शनार्थियों का सैलाब उमड़ पड़ा।
  • सुबह 7:30 से 11 बजे तक दूध-दही और केसर वर्षा के दर्शन हुए।
  • दोपहर 12:15 पर मंगला और श्रृंगार दर्शन में भीड़उमड़ पड़ी।
  • 2:15 बजे राजभोग दर्शन और
  • शाम 7 बजे उत्थापन तथा रात 8 बजे भोग-आरती के समय हवेली परिसर खचाखच भरा रहा।

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