Rajnandgaon News: 4 से 5 फीट तक भरे रहता था पानी
ग्रामीणों के मुताबिक यहां नाले में तकरीबन 4 से 5 फीट तक पानी भरे रहता था। यहां दर्जनभर स्कूली बच्चे खुर्सेखुर्द से बसेली स्कूल पढ़ने जाते हैं। इन बच्चों को आए दिन जान जोखिम में डालकर स्कूल तक आवागमन करना पड़ता था। यही नहीं बसेली में पंचायत मुख्यालय होने के चलते राशन सहित अन्य जरूरी सामानों के लिए ग्रामीणों को आवागमन करना होता है। बस्तर के मुहाने पर होने के चलते बस्तर के कांकेर जिले में दाखिल होने के लिए ग्रामीण इसी मार्ग का उपयोग करते हैं। लंबे समय से यहां पुल निर्माण की मांग की जा रही थी, लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा था, तो ग्रामीणों ने ही अपनी इस समस्या से निजात पाने का बीड़ा उठा लिया।
शासन-प्रशासन को आइना
ग्रामीणों ने अपना जुगाड़ लगाया और बांस-बल्लियों की कारीगरी से नाले में ऐसे देशी पुल का निर्माण कर दिया। इस पुल से अब न केवल स्कूली बच्चे बल्कि ग्रामीण भी आसानी से आवागमन कर रहे हैं। ग्रामीणों की यह तरकीब शासन और प्रशासन को क्षेत्रीय विकास का आइना भी दिखा रहा है। ग्रामीणों की माने तो किनारे में मुरुम डालने पर चार पहिया और ट्रैक्टर भी पुल के ऊपर से निकल जाएगा।
मुश्किल राह को बनाया आसान
पुल निर्माण के लिए दोनों गांव में क्षेत्रीय अवकाश घोषित किया गया। इसके बाद प्रत्येक घर से लोग पहुंचे और बिना किसी किताबी तकनीकी ज्ञान कौशल के अपने देसी जुगाड़ पद्धति से पुल के लिए लकड़ी के संसाधन जुटा कर अपनी कारीगरी से इस पुल का निर्माण सुनिश्चित किया। इस तरह आदिवासी ग्रामीणों ने अपनी राह आसान कर ली।