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Rajnandgaon News: लकड़ी का बीम डाल बिछाई बांस की चटाई, ग्रामीणों ने बना दिया देशी पु ल

Rajnandgaon News: मानपुर ब्लाक के घोर नक्सल प्रभावित ग्राम बसेली और बस्तर के मुहाने में बसे खुर्सेखुर्द गांव के बीच स्थित नाले में बारिश के दिनों में पारी भरे होने के कारण स्कूली बच्चे व ग्रामीण आवागमन नहीं कर पाते थे…

राजनंदगांवAug 07, 2025 / 05:25 pm

चंदू निर्मलकर

Rajnandgaon news

ग्रामीणों ने बना दिया बांस का देसी पु​ल ( Photo – Patrika )

Rajnandgaon News: मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के वंनाचल में आदिवासी ग्रामीणों ने देशी इंजीनियरिंग का नायाब नमूना पेश करते हुए तकरीबन 20 फीट चौड़े नाले में लकड़ी से पुल बना दिया है। ( Rajnandgaon News) दरअसल मानपुर ब्लाक के घोर नक्सल प्रभावित ग्राम बसेली और बस्तर के मुहाने में बसे खुर्सेखुर्द गांव के बीच स्थित नाले में बारिश के दिनों में पारी भरे होने के कारण स्कूली बच्चे व ग्रामीण आवागमन नहीं कर पाते थे। इस समस्या से निजात पाने ग्रामीणों ने नाले पर लकड़ी का पुल बनाकर आवागमन को सुगम बना दिया है।

Rajnandgaon News: 4 से 5 फीट तक भरे रहता था पानी

ग्रामीणों के मुताबिक यहां नाले में तकरीबन 4 से 5 फीट तक पानी भरे रहता था। यहां दर्जनभर स्कूली बच्चे खुर्सेखुर्द से बसेली स्कूल पढ़ने जाते हैं। इन बच्चों को आए दिन जान जोखिम में डालकर स्कूल तक आवागमन करना पड़ता था। यही नहीं बसेली में पंचायत मुख्यालय होने के चलते राशन सहित अन्य जरूरी सामानों के लिए ग्रामीणों को आवागमन करना होता है।
बस्तर के मुहाने पर होने के चलते बस्तर के कांकेर जिले में दाखिल होने के लिए ग्रामीण इसी मार्ग का उपयोग करते हैं। लंबे समय से यहां पुल निर्माण की मांग की जा रही थी, लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा था, तो ग्रामीणों ने ही अपनी इस समस्या से निजात पाने का बीड़ा उठा लिया।

शासन-प्रशासन को आइना

ग्रामीणों ने अपना जुगाड़ लगाया और बांस-बल्लियों की कारीगरी से नाले में ऐसे देशी पुल का निर्माण कर दिया। इस पुल से अब न केवल स्कूली बच्चे बल्कि ग्रामीण भी आसानी से आवागमन कर रहे हैं। ग्रामीणों की यह तरकीब शासन और प्रशासन को क्षेत्रीय विकास का आइना भी दिखा रहा है। ग्रामीणों की माने तो किनारे में मुरुम डालने पर चार पहिया और ट्रैक्टर भी पुल के ऊपर से निकल जाएगा।

मुश्किल राह को बनाया आसान

पुल निर्माण के लिए दोनों गांव में क्षेत्रीय अवकाश घोषित किया गया। इसके बाद प्रत्येक घर से लोग पहुंचे और बिना किसी किताबी तकनीकी ज्ञान कौशल के अपने देसी जुगाड़ पद्धति से पुल के लिए लकड़ी के संसाधन जुटा कर अपनी कारीगरी से इस पुल का निर्माण सुनिश्चित किया। इस तरह आदिवासी ग्रामीणों ने अपनी राह आसान कर ली।

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