ऐसा बताया जा रहा है कि भारत के निर्यातकों को अमेरिकी खरीददारों ने इस संबंध में ईमेल और पत्र भेजे हैं। जिसमें कहा गया है कि वे अगले नोटिस तक कपड़े और टेक्सटाइल शिपमेंट को रोक दें।
अमेरिकी खरीदारों ने भारतीय निर्यातकों के सामने शर्त रख दी है। उनका साफ कहना है कि वह भारत से आने वाले सामानों की लागत का बोझ उठाने को तैयार नहीं हैं। निर्यातकों को ही यह लागत खर्च वहन करना होगा।
कितना होगा नुकसान?
बता दें कि उच्च टैरिफ की वजह से भारतीय प्रोडक्ट्स की लागत में 30 से 35 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। ऐसे में, अमेरिका भेजे जाने वाले ऑर्डर में लगभग 40 से 50 प्रतिशत तक गिरावट आ सकती है। इससे लगभग 4-5 अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ सकता है।
इन निर्यातकों को लगेगा झटका
वेलस्पन लिविंग, गोकलदास एक्सपोर्ट्स, इंडो काउंट और ट्राइडेंट जैसे बड़े निर्यातक अमेरिका में सामान भेजकर मोटी कमाई करते हैं। ये अमेरिका में लगभग 40 से 70 फीसदी तक बिक्री करते हैं। अब उनके सामने धंधा को किसी भी तरह से बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। ऑर्डर रोके जाने से उन्हें बड़ा झटका लग सकता है। इतना ही नहीं, इस फील्ड में कई लोगों की नौकरियां भी जा सकती हैं।
अमेरिकी खरीददारों के पास अब भी दो विकल्प
अमेरिकी खरीददारों के पास अब भी दो विकल्प है। वह बांग्लादेश और वियतनाम को अब से बड़े पैमाने पर ऑर्डर दे सकते है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों देशों से आने वाले वस्तुओं पर सिर्फ 20 प्रतिशत टैरिफ लागू है। इसको लेकर भारत के निर्यातकों के बीच डर का माहौल है।
अमेरिका में टेक्सटाइल और कपड़े से इतना कारोबार
अमेरिकी बाजार में भारतीय कपड़ों की मांग बहुत अधिक है, जो भारतीय निर्यात को बढ़ावा देती है। मार्च 2025 के अंतिम वित्तीय वर्ष में भारत ने अमेरिका में कपड़े और टेक्सटाइल से 36.61 बिलियन डॉलर का बिजनेस किया।
अमेरिका का कदम
बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। उनका कहना है कि रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर यह दंडात्मक कार्रवाई हुई है। बुधवार को अपने आदेश में ट्रंप ने कहा कि मैं यह मानता हूं कि भारत से आने वाले सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाना आवश्यक और उचित है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रूस से तेल आयात कर रहा है।
भारत ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ अनुचित है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हाल के दिनों में अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि हमारे आयात बाजार राष्ट्रीय हित में संचालित होते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत पर ऐसे कदमों के लिए अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है जो कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हित में उठा रहे हैं। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।