Nag Panchami 2025: नागपंचमी महोत्सव की तैयारी पूरी
हटकेशर स्थित नागदेव मंदिर में नागपंचमी महोत्सव को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। आज नागपंचमी महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इसके पूर्व 28 जुलाई को सुबह पूजा-अर्चना पश्चात नाग माता मंशा देवी की पालकी यात्रा निकाली जाएगी। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए नागपंचमी आयोजन समिति का भी गठन किया गया है।
पूरी होती है हर मन्नत
कार्यक्रम प्रभारी दिलीप देवांगन ने बताया कि हटकेशर स्थित नागदेव मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। संतान प्राप्ति, कालसर्प दोष और अनिष्ट निवारण के लिए यह मंदिर जाना जाता है। इस साल भी नागपंचमी महोत्सव को धूमधाम से मनाया जा रहा है। 29 जुलाई को सुबह 4 बजे से नागदेव का दुग्धाभिषेक, जलाभिषेक किया गया।
कल होगा कालसर्प दोष निवारण अनुष्ठान
सुबह 5 बजे महाआरती के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर का पट खोल दिया जाएगा। पश्चात सुबह 8 बजे से कालसर्प दोष निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान किया जाएगा। कालसर्प दोष निवारण अनुष्ठान त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के आचार्य पंडित शिवा प्रसाद चतुर्वेदी करेंगे। कालसर्प दोष निवारण अनुष्ठान में शामिल होने के लिए अब तक 22 यजमानों ने अपना पंजीयन कराया है
दर्शन के लिए लगती है भक्तों की भीड़
जिले का यह एक मात्र प्राचीन नागदेव मंदिर है। गर्भगृह का प्रवेश द्वारा इतना छोटा है, कि नाग माता मंशा देवी के दर्शन के लिए भक्तों को झुककर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करना पड़ता है। नाग पंचमी पर यहां नाग माता मंशा देवी का श्रद्धालु दूध और जल चढ़ाकर स्वयं अभिषेक करते हैं। नागपंचमी महोत्सव के दिन हटकेशर में खेती-किसानी के कार्य पूरी तरह से बंद रहता है। अलसुबह से ही दुग्धाभिषेक और दर्शन-पूजन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।
जानें मंदिर का इतिहास
नागदेव मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इस मंदिर को 11वीं शताब्दी का माना जाता है। मंदिर के गर्भगृह में नागदेव की एक चतुर्भुजी प्रतिमा है, जो मुरूम पत्थर से बनी हुई है। मंदिर में नागेश्वर महादेव, दक्षिण मुखी हनुमान जी, श्रीकाल भैरव बाबा की प्रतिमा स्थापित है। मान्यता है कि पहले इस जगह पर घनघोर जंगल हुआ करता था। आसपास सदियों पुराने दो बड़े बरगद और पीपल के वृक्ष भी है, जिसमें सर्पों का जोड़ा झूलते हुए आसानी से देखे जा सकते थे। आज भी नागपंचमी के दिन नाग-नागिन का जोेड़ा यहा आसानी से देखा जा सकता है। मंदिर के चारों दिशाओं में अलग-अलग जगहों पर ठाकुर देव, अखरा देव की प्राचीन प्रतिमाएं विद्यमान है। पुरातत्व की दृष्टि से यह सभी प्रतिमाएं काफी महत्वपूर्ण है। इस साल भी जोर-शोर से नागपंचमी मनाया जाएगा।