Sushasan Tihar 2025: ईमानदारी से काम करने वाली सरकार ने जनता के सामने रखा रिपोर्ट कार्ड
साय ने कहा, सुशासन तिहार के तीसरे चरण के पांचवें दिन 10 वें जिले में आप सभी के बीच आया हूं ताकि योजनाओं के क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत का पता चल सके। इस दौरान मुख्यमंत्री ने 75 करोड़ की लागत से ग्राम पंचायत मड़ेली में 132 केवी सब स्टेशन और विद्युत लाइन विस्तार तथा 147 करोड़ रुपए की लागत से राजिम से छुरा (बेलटुकरी होते हुए) 43 किमी सड़क चौड़ीकरण और पिपरछेड़ी जलाशय के अधूरे निर्माण को पूर्ण कराए जाने की बड़ी घोषणा की।
सीएम ने राजमिस्त्री बनकर सोखता गड्ढे के लिए की ईंट जोड़ाई
मुख्यमंत्री साय
बलौदाबाजार भाटापारा जिले के विकासखंड कसडोल के विशेष पिछड़ी जनजाति कमार बाहुल्य ग्राम बलदाकछार पहुंचे। जहां उन्होंने मोर गांव, मोर पानी महाभियान के अंतर्गत जल संचयन के लिए जल संचयन वाहिनी द्वारा निर्मित किए जा रहे सोखता गड्ढे का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने स्वयं निर्माणाधीन सोखता गड्ढे में ईंट जोड़ाई की। पानी बचाने के लिए जल संचयन वाहिनी के कार्यों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, जल संकट से बचने ऐसे प्रयास आवश्यक हैं।
नन्हे बच्चों का कराया अन्नप्राशन
समाधान शिविर में मुख्यमंत्री साय ने दिव्यांगजनों को ट्राइसाइकिल और विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत हितग्राहियों को अन्य उपकरण और सामग्रियां वितरित की।
मुख्यमंत्री ने विभागीय स्टालों का दौरा कर अधिकारियों से आवेदनों के निराकरण की जानकारी ली और लंबित आवेदनों का निराकरण करने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने बच्चों को खीर खिलाकर अन्नप्राशन कराया। वे गर्भवती माताओं की गोद भराई की रस्म में शामिल हुए।
गरीब परिवारों को और 3.50 लाख आवास जल्द
मुख्यमंत्री ने कहा, हमारी सरकार को लगभग डेढ़ साल पूरे होने वाले है। इस दौरान हम मोदी सरकार की सभी गारंटियों को पूरा करने का काम कर रहे हैं। हमारी सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में 18 लाख
गरीब परिवारों के आवास को स्वीकृति दी थी और लगातार अब भी आवास देने का काम कर रहे हैं। आगामी 13 मई को केंद्रीय पंचायत मंत्री की मौजूदगी में 3.5० लाख आवास गरीब परिवारों को और मिलने वाले हैं।
गरियाबंद जिले के सुदूर वनांचल मड़ेली में ऐतिहासिक क्षण उस समय आया, जब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 45 वर्षों से अधूरी पड़ी पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना को पूरा करने की घोषणा की। यह घोषणा न केवल एक अधूरे वादे की पूर्णता है, बल्कि क्षेत्र के हजारों किसानों के सपनों की भी पुनर्स्थापना है। 1977 में प्रारंभ हुई इस योजना को घुनघुट्टी नाला पर बांध बनाकर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, लेकिन 1980 में वन अधिनियम लागू होने के कारण वन एवं पर्यावरणीय स्वीकृति न मिलने से कार्य अधर में लटक गया।
इसके बाद की कई सरकारों ने इस ओर गंभीर पहल नहीं की और किसानों की आशाएं धीरे-धीरे धुंधली पड़ती गईं। परंतु मुख्यमंत्री साय ने इस मुद्दे को प्राथमिकता में लिया। केंद्र सरकार ने पर्यावरणीय स्वीकृति देकर वर्षों पुरानी इस परियोजना को जीवनदान दिया। मुख्यमंत्री साय ने
सुशासन तिहार समाधान शिविर में इस बहुप्रतीक्षित स्वीकृति की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा, यह सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि किसानों के संघर्ष, प्रतीक्षा और उम्मीद की जीत है।