क्या है हर्मन कान की एस्केलेशन थ्योरी
अमेरिकी रणनीतिकार हर्मन कान ने 1960 में “On Thermonuclear War” में यह विचार प्रस्तुत किया था कि किसी भी संघर्ष की प्रक्रिया एक सीढ़ी की तरह होती है, जिसमें हर स्टेप पर तनाव और खतरा बढ़ता है, जब तक कि वह परमाणु युद्ध जैसे विनाशक बिंदु तक न पहुंच जाए। उन्होंने युद्ध की स्थिति को 44 स्टेप्स या लेवल्स में बांटा, यानि शांति से लेकर परमाणु महाविनाश तक की पूरी प्रक्रिया को स्टेप के रूप में समझाया गया है।अगर युद्ध हुआ तो यूपी क्या करेगा? पढ़िए एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
एस्केलेशन थ्योरी के अनुसार हम किस स्टेप पर हैं?
पहला स्टेप – राजनीतिक बयानबाजी– भारत और पाकिस्तान पहले स्तर को पार कर चुके हैं।दूसरा स्टेप – आतंक का सहारा – पाकिस्तान प्रायोजित आंतवादियों ने पहलगाम में निर्दोष नागरिकों को मार कर दूसरा स्तर पार कर दिया।
तीसरा स्टेप – सीमा पर छोटे-छोटे सैन्य टकराव– एयरस्ट्राइक के बाद से जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान लगातार सीज फायर का उलंघन कर रहा है। लगातार शैलिंग और गोलिबारी में स्थानीय नागरिकों की मौत हो रही है. यानी पाकिस्तान तीसरा स्तर भी पार कर चुका है।
चौथा स्टेप – सीमित युद्ध – यानी दो देशों के बीच एक निश्चित स्थान पर हमला जैसे करगिल में भारत पाकिस्तान के बीच जंग हुई ये केवल सियाचीन,द्रास लद्दाख और उसके आसपास के क्षेत्रों में थी । पंजाब ,राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती इलाकों में किसी भी तरह के हमले नहीं हुए लेकिन इस बार पाकिस्तान की ओर से यहां भी हमलों की लगातार कोशिश हो रही है। यानी पाकिस्तान इस स्तर को भी पार कर गया है।पांचवा स्टेप – पूरा युद्ध
दोनों तरफ से अपनी सेनाओ का इस्तेमाल , जैसे 1947-48,1965,1971 की जंग में दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने थी।
छठा स्टेप – परमाणु हथियारों की तैनाती – मौजूदा परिस्थिति में दोनों ही देश अभी इस स्थिति में नहीं पहुंचे है की परमाणु बम से हमले की चेतावनी दी जाए।
सातवां स्टेप – परमाणु हथियारों का इस्तेमाल – ये किसी भी युद्ध का आखिरी स्टेप है। वैसे तो इसकी संभावना कम है। दुनिया के इतिहास में ऐसा बस एक बार ही हुआ है। 1945 के दूसरे विश्व युद्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका ने हिरहिरोशिमा नागासाकी पर इसका इस्तेमाल किया था। इसके अलावा अभी तक किसी अन्य देश ने इसका इस्तेमाल नहीं किया।