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नीति के प्रमुख बातें
- निजी निवेश की अनुमति: कोई भी व्यक्ति या संस्था (एकल या समूह) बस अड्डा या टूरिस्ट पार्क स्थापित करने के लिए आवेदन कर सकती है। इसके लिए कम से कम 2 एकड़ जमीन, ₹50 लाख की नेटवर्थ और पिछले वित्तीय वर्ष में ₹2 करोड़ का टर्नओवर होना आवश्यक है।
- नियामक प्राधिकरण का गठन: प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी (डीएम) की अध्यक्षता में एक नियामक प्राधिकरण समिति का गठन किया जाएगा, जो बस अड्डों और पार्कों की स्थापना से जुड़े प्रस्तावों पर निर्णय लेगी।
- संचालन की अवधि: पहली बार में 10 साल के लिए अनुमति दी जाएगी, जिसके बाद यदि संचालन संतोषजनक पाया गया तो और 10 साल के लिए नवीनीकरण हो सकेगा।
- स्वामित्व का हस्तांतरण: बस अड्डों का स्वामित्व किसी अन्य कानूनी संस्था को सौंपा जा सकता है, लेकिन यह आवेदन रजिस्ट्रेशन की तारीख से एक साल बाद ही किया जा सकता है।
- यात्री सुविधाएं: प्रत्येक बस अड्डे में यात्रियों के लिए विश्राम क्षेत्र, स्वच्छ शौचालय, शुद्ध पेयजल, 24×7 कैंटीन, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, सीसीटीवी कैमरे, अग्निशमन उपाय, जनरेटर, टिकट काउंटर, पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती जैसी सुविधाएं अनिवार्य होंगी।
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नीति के लाभ

- यात्री सुविधाओं में सुधार: आधुनिक बस अड्डों की स्थापना से यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, जिससे उनकी यात्रा अधिक सुरक्षित और आरामदायक होगी।
- यातायात प्रबंधन में सुधार: सुव्यवस्थित बस अड्डों और पार्कों की स्थापना से अवैध पार्किंग की समस्या कम होगी और यातायात व्यवस्था में सुधार होगा।
- निजी निवेश को प्रोत्साहन: नीति के माध्यम से निजी निवेशकों को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे राज्य में बुनियादी ढांचे का विकास होगा।
- रोजगार के अवसर: बस अड्डों और पार्कों की स्थापना से स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।