जियोग्राफिकल डेटा बनेगा
ऑडिट करने वाली एजेंसी निकायों के भवनों, स्ट्रीट लाइट, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, बोरवेल की बिजली खपत का विश्लेषण करेगी। इसके बाद विद्युत उपयोग तथा अव्यय को कम करने के सुझाव देगी। इसके लिए सभी निकायों में लगाए गए मीटर का सर्वे कर जियोग्राफिकल डेटा तैयार किया जाएगा। शासन का मानना है कि एजेंसी के सुझावों को निकाय पर जब काम होगा ताे उन बिजली बिल के बकाए का भार कम होगा।
लगातार बढ़ रही सरचार्ज की राशि
बता दें कि निकायों के बिजली बिल का बकाया लाखों-करोड़ों में हैं। बिजली विभाग निकायों को बकाया बिल भरने के लिए बिल भेजता है तो सरचार्ज और एरियर्स की राशि ही अधिक होती है। ऐसे में निकायों का सरचार्ज और एरियर्स की राशि नगरीय प्रशासन विभाग को भरना पड़ता है। इसलिए विभाग ने निकायों का एनर्जी ऑडिट कराने का निर्णय लिया है।
भारी भरकम बिजली बिल से राहत की कवायद
एनर्जी ऑडिट के बाद निकायों में सोलर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि निकायों को आने वाले भारी भरकम बिजली बिल के बोझ से राहत मिल सके। वैसे सरकार द्वारा आम नागरिकों को सोलर एनर्जी का उपयोग करने के लिए सोलर प्लांट लगाने पर सब्सिडी दी जा रही है। सोलर ऊर्जा का उपयोग करने पर लोगों को बिजली बिल से भारी राहत मिली है।
नोडल अधिकार किए जाएंगे नियुक्त
एनर्जी ऑडिट के लिए निकायों में नोडल और सहायक नोडल अधिकारी नियुक्ति किए जाएंगे। इसके लिए निकायों के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। नोडल अधिकारी निकायों के वरिष्ठ अभियंता को बनाया जाएगा, जो एनर्जी ऑडिट करने वाली एजेंसी को निकायों के वार्डों की बाउंड्री और स्थापित मीटरों की जानकारी देंगे।