इनमें हाई-एंड ऑडियो रिकॉर्डिंग, वीडियो एडिटिंग, डबिंग, साउंड डिजाइनिंग और पोस्ट-प्रोडक्शन की सभी सुविधाएं मौजूद हैं। छत्तीसगढ़ी फिल्मों के अधिकतर पोस्ट-प्रोडक्शन का कार्य अब इन्हीं स्टूडियो में होता है चाहे वो बैकग्राउंड म्यूजिक जोड़ना हो, डायलॉग की डबिंग करनी हो या विजुअल इफेक्ट्स लगाना हो।
रायपुर के स्टूडियो अब मुंबई, भोपाल, नागपुर जैसे शहरों से आने वाले प्रोजेक्ट्स भी हैंडल कर रहे हैं।
डॉक्युमेंट्री से लेकर पॉडकास्ट तक
रायपुर के महोबाबाजार, कटोरातालाब, हीरापुर, महादेव घाट, भाटागांव और डीडीयू नगर जैसे इलाकों में स्टूडियो की भरमार है। यहां सुबह से देर रात तक रिकॉर्डिंग का काम चलता रहता है। स्टूडियो संचालक बताते हैं कि अब केवल शादी-ब्याह के गीत ही नहीं, बल्कि यूट्यूब चैनल, डॉक्युमेंट्री, इंस्टाग्राम रील्स, पॉडकास्ट और ऑडियो बुक्स के लिए भी लोग रिकॉर्डिंग कराने आते हैं। युवा गायक, रैपर, कवि और स्टोरीटेलर अब फोक से डिजिटल तक की यात्रा करने लगे हैं।
राजू का गाना हुआ रिकॉर्ड
दिल पे चलाई छुरिया… जैसे वायरल गीत से चर्चित हुए राजू ने हाल ही में रायपुर के एक स्टूडियो में अपना गाना रिकॉर्ड किया है। सोशल मीडिया पर उसकी क्लिप वायरल हो रही है और लोग उसके गाने की सादगी से जुड़ाव महसूस कर रहे हैं।
क्रिएटिविटी बड़े शहरों की मोहताज नहीं
फिल्मकारों का मानना है कि डिजिटल स्टूडियो ने रायपुर को सिर्फ एक तकनीकी पहचान नहीं दी, बल्कि यहां की लोक कला, भाषा और सांस्कृतिक विविधता को रिकॉर्ड करके संरक्षित करने का भी माध्यम बनाया है। यह बदलाव यह भी दिखाता है कि क्रिएटिविटी अब सिर्फ बड़े शहरों की मोहताज नहीं रायपुर जैसे शहर भी इस दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।