CG News: बजट प्रावधानों को बदलना गलत
क्या विधानसभा में पारित बजट के प्रावधानों को इतनी आसानी से बदला जा सकता है। यही नहीं, आंको यानी कैंसर सर्जरी विभाग ने रोबोटिक सर्जरी के पूरे प्रजेंटेशन से लेकर जरूरतें कमिश्नर को बताई, लेकिन बजट जनरल
सर्जरी विभाग को दे दिया गया है।
आखिर चिकित्सा शिक्षा विभाग के कमिश्नर कार्यालय में हो क्या रहा है? जानकारों का कहना है कि बजट प्रावधानों को बदलना गलत है। जिस विभाग की जरूरत थी और जहां से मांग गई थी, उसी मांगों को वित्त मंत्री चौधरी ने बजट में शामिल किया था। हालांकि रोबोटिक सर्जरी के लिए सिस्टम लगाने का प्रावधान बजट का नहीं है। यह कमिश्नर कार्यालय से किया गया है।
लिपिकीय त्रुटि नहीं, किया जानबूझकर
जानकारों का कहना है कि ये लिपिकीय त्रुटि बिल्कुल नहीं है, बल्कि जानबूझकर किया गया है। क्या कमिश्नर या उनके कार्यालय के बाबू कार्डियोलॉजी व कार्डियक सर्जरी का अंतर नहीं समझते? क्या आंको सर्जरी व जनरल सर्जरी एक समान है? यही नहीं बजट प्रावधानों के विपरीत एमआरआई के लिए 15 करोड़ व सीटी स्कैन के लिए 13 करोड़ फंड स्वीकृति की जानकारी कमिश्नर कार्यालय से आंबेडकर अस्पताल प्रबंधन को भेजी गई है। जबकि वित्त मंत्री ने दोनों मशीनों के लिए क्रमश: 28 व 26 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था।
साढ़े 7 साल में महज एक कोरोनरी बायपास सर्जरी
पत्रिका ये सवाल इसलिए भी उठा रहा है, क्योंकि कार्डियक सर्जरी विभाग में पिछले साढ़े 7 सालों में महज एक कोरोनरी बायपास सर्जरी हुई है, जो मार्च में की गई थी। दो रेगुलर कार्डियक सर्जन के रहते हुए जरूरी स्टाफ नहीं होने से कोरोनरी बायपास सर्जरी नहीं हो पा रही है। इसके लिए मरीज पूरी तरह निजी अस्पतालों पर निर्भर है। एम्स में वेटिंग ज्यादा है इसलिए मरीज निजी अस्पतालों में ऑपरेशन करवा रहे हैं।
शासन का ध्यान भी नहीं है। 31 अक्टूबर 2017 में एस्कार्ट हार्ट सेंटर के स्थान पर एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट शुरू किया गया था। तब से यहां कार्डियोलॉजी व कार्डियक सर्जरी विभागों का संचालन किया जा रहा है। कार्डियोलॉजी विभाग एक तरह से काफी विकसित है, लेकिन कार्डियक सर्जरी में ओपन हार्ट व वेस्कुलर सर्जरी ही ज्यादा की जा रही है। एनेस्थेटिस्ट नहीं होने से बायपास सर्जरी एक ही हुई है।
एक विभाग में खुशी तो दूसरे में मायूसी
CG News: फंड आवंटन एक से दूसरे विभागों में होने से जहां एक विभाग में खुशी है, वही दूसरे विभाग में मायूसी छाई हुई है। डॉक्टर भी जुबान नहीं खोल रहे हैं, क्योंकि ये काम कमिश्नर कार्यालय से हुआ है।
पत्रिका के पास बजट की प्रति है, जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि किस-किस विभाग के लिए राशि का प्रावधान किया गया है। बताया जा रहा है कि अधिकारियों से अप्रोच के कारण ऐसा खेल चल रहा है। देखने वाली बात ये होगी कि सीएमई कार्यालय क्या बजट प्रावधानों के अनुसार फंड संबंधित विभाग को देगा या नहीं।
आंको सर्जरी ने रोबोटिक सर्जरी के लिए प्रेजेंटेशन से लेकर सारी जरूरतें बताईं, दो करोड़ का फंड जनरल सर्जरी विभाग को। राज्य बजट में कार्डियक सर्जरी में बायपास सर्जरी के लिए 10 करोड़ दिए। फंड कार्डियोलॉजी विभाग को।
एमआरआई व सीटी स्कैन मशीन के लिए 54 के बजाय 28 करोड़ दिए गए। नई मशीन नहीं आ पाएगी।