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रायबरेली

Snake Attack: काली नागिन का कहर: बुजुर्ग को दौड़ा-दौड़ाकर कई बार डसा, हालत गंभीर

Black Cobra Terror in Rae Bareli: रायबरेली के नंदाखेड़ा गांव में सावन के महीने में एक काली नागिन ने दहशत फैला दी। खेत में काम कर रहे 60 वर्षीय बुजुर्ग पर नागिन ने हमला कर दिया और आधा दर्जन बार डस लिया। घायल बुजुर्ग की हालत गंभीर है। मौके पर बुलाए गए सपेरों ने नागिन को पकड़ लिया।

रायबरेलीJul 28, 2025 / 08:27 am

Ritesh Singh

सावन में काली नागिन का कहर :बछरावां थाना क्षेत्र के नंदाखेड़ा गांव की घटना, मौके पर सपेरों ने नागिन को पकड़ा, ग्रामीणों में दहशत का माहौल फोटो सोर्स :Social Media

सावन में काली नागिन का कहर :बछरावां थाना क्षेत्र के नंदाखेड़ा गांव की घटना, मौके पर सपेरों ने नागिन को पकड़ा, ग्रामीणों में दहशत का माहौल फोटो सोर्स :Social Media

Snake Attack RaeBareli:  सावन के महीने में जहां एक ओर शिवभक्त नाग पंचमी और भोलेनाथ की आराधना में लीन हैं, वहीं रायबरेली जनपद के बछरावां थाना क्षेत्र के एक गांव से ऐसी घटना सामने आई है जिसने सबको हैरत में डाल दिया। नंदाखेड़ा गांव में खेत में काम कर रहे एक 60 वर्षीय बुजुर्ग पर काली नागिन ने हमला कर दिया और उसे दौड़ा-दौड़ाकर करीब आधा दर्जन बार डस लिया। यह भयावह दृश्य वहां मौजूद लोगों ने अपनी आंखों से देखा। घायल बुजुर्ग की हालत गंभीर बनी हुई है और उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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घटना का विवरण: खेत में काम कर रहे थे बुजुर्ग

घटना शनिवार की दोपहर लगभग 1 बजे की है जब नंदाखेड़ा गांव निवासी रामनिवास (60 वर्ष) अपने खेत में रोज की तरह निराई-गुड़ाई का काम कर रहे थे। मौसम में उमस होने के कारण आसपास की झाड़ियों में सांप निकलने की आशंका बनी हुई थी। इसी दौरान अचानक एक काली नागिन झाड़ियों से निकली और तेजी से रामनिवास की ओर बढ़ी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नागिन ने बिना किसी उकसावे के सीधे रामनिवास पर हमला कर दिया। उन्होंने भागने की कोशिश की, लेकिन नागिन ने उनका पीछा करते हुए कई बार डंसा। लगभग 100 मीटर तक नागिन ने उनका पीछा किया और उन्हें तीन बार खेत में तथा दो बार रास्ते में डसने का प्रयास किया।

डरावना मंजर: सड़क पर गिर पड़े रामनिवास

रामनिवास किसी तरह खेत से निकलकर अपने घर की ओर भागे, लेकिन तेज़ विष के असर से उनकी हालत बिगड़ने लगी। जैसे ही वे मुख्य सड़क पर पहुंचे, चक्कर खाकर वहीं गिर पड़े। आसपास मौजूद लोगों ने तत्काल उन्हें अस्पताल ले जाने का प्रयास किया। साथ ही गांव में हड़कंप मच गया और लोग नागिन को पकड़ने के लिए सपेरों को बुलाने लगे।
 सावन में काली नागिन का कहर

सपेरे बुलाए गए, दो घंटे मशक्कत के बाद पकड़ी गई नागिन

घटना की सूचना मिलते ही आसपास के गांव से दो अनुभवी सपेरे मौके पर पहुंचे। नागिन अभी भी उसी क्षेत्र में सक्रिय थी और हमला करने की मुद्रा में थी। सपेरों ने विशेष उपकरणों और बांस की सहायता से करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद नागिन को सुरक्षित पकड़ा। सपेरों ने बताया कि यह कोई सामान्य सांप नहीं था, बल्कि बेहद आक्रामक और विषैला “काली नागिन” थी, जिसकी प्रजाति बहुत ही कम देखने को मिलती है। ग्रामीणों ने सांप को जीवित पकड़वाने के लिए धन्यवाद दिया और उसके वन विभाग को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

बुजुर्ग की हालत गंभीर, अस्पताल में भर्ती

डॉक्टरों के अनुसार रामनिवास के शरीर में विष तेजी से फैल चुका था। उन्हें तीन बार एंटी-वेनम इंजेक्शन दिए गए हैं और स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है। परिजनों का कहना है कि यदि समय पर गांववालों की मदद न मिलती तो अनहोनी हो सकती थी।

ग्रामीणों में डर और दहशत का माहौल

घटना के बाद से पूरे नंदाखेड़ा गांव में भय और आशंका का माहौल है। सावन के इस महीने में नाग-नागिनों की गतिविधियों को लेकर लोग पहले से ही सतर्क रहते हैं, लेकिन इतनी आक्रामक और लगातार हमला करने वाली नागिन को पहली बार देखा गया। कई लोगों ने इसे “दुर्लभ और अंधविश्वास से जुड़ी घटना” बताकर तंत्र-मंत्र की चर्चा भी शुरू कर दी है।

गांव के बुजुर्गों ने दी अपनी राय

गांव के बुजुर्ग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि सावन के महीने में नागिनें अत्यधिक सक्रिय होती हैं और अपने साथी की मृत्यु या खतरे की स्थिति में वे प्रतिशोध की भावना से हमला करती हैं। हालांकि यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी मान्यताएं आम हैं।

प्रशासन और वन विभाग से उठी मांग

स्थानीय लोगों ने प्रशासन और वन विभाग से मांग की है कि गांव के चारों ओर झाड़ियों और खेतों की साफ-सफाई कराई जाए और विषैले जीवों की पहचान के लिए रेगुलर सर्वे अभियान चलाया जाए। साथ ही ग्रामीणों को सांप से बचाव और प्राथमिक उपचार के बारे में जागरूक किया जाए।

वन विभाग की प्रतिक्रिया

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पकड़ी गई नागिन को फिलहाल निगरानी में रखा गया है और जल्द ही उसे सुरक्षित जंगल क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा। साथ ही विभाग की एक टीम को नंदाखेड़ा गांव भेजा गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि क्षेत्र में कोई और विषैला जीव सक्रिय न हो।

सावधानी ही बचाव है

रायबरेली की यह घटना न केवल हैरान कर देने वाली है बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि कैसे सावन के महीनों में विषैले जीवों की सक्रियता बढ़ जाती है। खेतों, झाड़ियों और जंगलों में काम करने वालों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए और प्रशासन को भी ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए।

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