scriptहाईकोर्ट ने फतेहपुर डीएम को लगाई फटकार, न्यायालय की गरिमा को लेकर दिए गए बयान को बताया आपत्तिजनक | High Court: The High Court reprimanded the Fatehpur DM, termed the statement given regarding the dignity of the court as objectionable | Patrika News
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हाईकोर्ट ने फतेहपुर डीएम को लगाई फटकार, न्यायालय की गरिमा को लेकर दिए गए बयान को बताया आपत्तिजनक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर के जिलाधिकारी द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र पर कड़ी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने डीएम के उस कथन को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने आश्वासन दिया था कि “न्यायालय की गरिमा हमेशा बनाए रखी जाएगी।

प्रयागराजApr 29, 2025 / 08:23 am

Krishna Rai

High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर के जिलाधिकारी द्वारा दाखिल किए गए शपथपत्र पर कड़ी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने डीएम के उस कथन को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने आश्वासन दिया था कि “न्यायालय की गरिमा हमेशा बनाए रखी जाएगी।” न्यायालय ने इस कथन को ‘छिपा हुआ विचार’ करार देते हुए कहा कि इससे ऐसा संकेत मिलता है मानो जिलाधिकारी स्वयं को अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने में सक्षम मानते हों।
न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकल पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “इस न्यायालय को अपनी गरिमा की रक्षा के लिए किसी आश्वासन की आवश्यकता नहीं है।” उन्होंने कहा कि “शब्दों की बनावट में यह संकेत छिपा है कि जिलाधिकारी खुद को इतना शक्तिशाली समझते हैं कि कोर्ट की प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकते हैं। किसी को भी, जिसमें कलेक्टर फतेहपुर भी शामिल हैं, इस प्रकार की गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए।”
कोर्ट ने इस संबंध में जिलाधिकारी से स्पष्टीकरण शपथपत्र दाखिल करने को कहा है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए, क्योंकि उनके शपथपत्र में उपयोग किए गए शब्द न्यायपालिका की गरिमा पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।
भूमि अतिक्रमण से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान आई प्रतिक्रिया
यह टिप्पणी एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आई, जिसमें याची ने आरोप लगाया था कि गांव के कुछ भूखंड — जो राजस्व रिकॉर्ड में खेल का मैदान, तालाब और खलिहान के रूप में दर्ज हैं — पर ग्राम प्रधान ने अवैध कब्जा कर लिया है।
प्रमुख सचिव और जिलाधिकारी ने कोर्ट को बताया कि अतिक्रमण के आरोप में संबंधित लेखपाल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। हालांकि, याची ने आरोप लगाया कि उसे याचिका वापस लेने के लिए राजस्व अधिकारियों और पुलिस द्वारा धमकाया जा रहा है।
कोर्ट ने इन आरोपों को गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से व्यक्तिगत रूप से जवाब मांगते हुए शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था। जवाब में डीएम द्वारा दाखिल शपथपत्र के एक पैराग्राफ में उन्होंने न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि “कोर्ट की गरिमा और अधिकारों को भविष्य में पूरी तरह सुरक्षित रखा जाएगा।” इसी पर अदालत ने आपत्ति जताई।
न्यायालय की सख्त टिप्पणी प्रशासनिक जवाबदेही का स्पष्ट संकेत
कोर्ट ने यह भी दोहराया कि प्रशासनिक अधिकारी यह न समझें कि वे न्यायपालिका से ऊपर हैं या उसकी मर्यादा को प्रभावित कर सकते हैं।

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