गंगा और यमुना में आई उफान की वजह
गंगा का जलस्तर उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हो रही भारी बारिश के कारण बढ़ रहा है, वहीं यमुना में चंबल, केन और बेतवा नदियों का पानी तेजी से आ रहा है। खासतौर पर राजस्थान की चंबल और मध्य प्रदेश की बेतवा नदी में आई बाढ़ का असर प्रयागराज में यमुना के जलस्तर पर दिख रहा है।
24 घंटे में गंगा-यमुना के जलस्तर में तेज इजाफा
मंगलवार सुबह तक गंगा का जलस्तर बढ़कर 81.30 मीटर हो गया, जो बीते 24 घंटे में 1.03 मीटर की वृद्धि है। यमुना भी 81.13 मीटर तक पहुंच गई है, जिसमें 71 सेमी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। यहां बाढ़ का खतरे का निशान 83.73 मीटर है।
प्रशासन ने बनाए राहत शिविर और बाढ़ चौकियां
संभावित संकट को देखते हुए प्रशासन ने शहर और आसपास के इलाकों में 88 बाढ़ चौकियां स्थापित कर दी हैं। इसके अलावा चार राहत शिविर भी तैयार कर लिए गए हैं। निचले क्षेत्रों के लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
चंबल और बेतवा से आ रहा है 5 लाख क्यूसेक पानी
राजस्थान के धौलपुर में चंबल नदी का जलस्तर 135 मीटर तक पहुंच चुका है, जो खतरे के निशान 130 मीटर से ऊपर है। यहां से तेजी से पानी यमुना में आ रहा है। वहीं मध्य प्रदेश की बेतवा नदी भी उफान पर है। इन दोनों नदियों से लगभग 5 लाख क्यूसेक पानी यमुना में प्रवेश कर रहा है, जिससे प्रयागराज में बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है।
पिछले सप्ताह भी आई थी बाढ़ जैसी स्थिति
करीब दस दिन पहले भी प्रयागराज में गंगा-यमुना के उफान के चलते 44 गांवों और 13 मुहल्लों में पानी भर गया था। 250 से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे और उन्हें राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी थी। अब एक बार फिर वैसी ही स्थिति बनने लगी है।
टोंस नदी में भी बढ़ा खतरा
प्रयागराज की टोंस नदी में भी जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। मध्य प्रदेश से आने वाली यह नदी अब चाकघाट और कोहड़ार घाट जैसे इलाकों में उफान पर है। इससे जिले के और अधिक क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति बनने की आशंका है।
निगरानी और राहत कार्य तेज
सिंचाई विभाग व प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है। बाढ़ खंड के अधिकारी लगातार जलस्तर पर नजर बनाए हुए हैं। प्रशासन ने दावा किया है कि बाढ़ से निपटने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जा चुके हैं, और हालात से निपटने के लिए पूरी तैयारी है।