हाई कोर्ट में लंबित है विवाद
शाही जामा मस्जिद को लेकर चल रहा विवाद इलाहाबाद हाई कोर्ट में विचाराधीन है। हिंदू संगठनों का दावा है कि यह मस्जिद दरअसल एक प्राचीन हरिहर मंदिर थी, जिसे तोड़कर मस्जिद का रूप दिया गया। जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मस्जिद कोई नया निर्माण नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर है जो वर्षों से मस्जिद के रूप में ही अस्तित्व में है।
बीते साल भड़की थी हिंसा
गौरतलब है कि नवंबर 2024 में जब मस्जिद का सर्वे किया गया था, तब प्रशासन और मुस्लिम समुदाय के बीच विवाद ने हिंसक रूप ले लिया था। उस घटना के बाद से प्रशासन इस इलाके को संवेदनशील जोन मानता है और यहां पर अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती की जाती रही है।
जलाभिषेक के ऐलान से माहौल गर्म
बीते रविवार को मुरादाबाद के कथित शिव सैनिकों ने ऐलान किया कि वे सोमवार को शाही जामा मस्जिद में जाकर गंगाजल चढ़ाएंगे और जलाभिषेक करेंगे। हालांकि पुलिस ने फौरन एक्शन लेते हुए शिव सैनिकों को मुरादाबाद में ही रोक लिया, जिससे किसी बड़ी घटना की आशंका को टाल दिया गया।
सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम
मस्जिद परिसर के चारों ओर RAF और भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पूरे इलाके में बैरिकेडिंग की गई है और मस्जिद की ओर जाने वाले सभी रास्तों पर चेकिंग प्वाइंट बनाए गए हैं। स्थानीय लोगों को भी पहचान पत्र जांचने के बाद ही आगे जाने दिया जा रहा है।
साल-दर-साल होता है ऐलान
हर वर्ष शिव सैनिकों की ओर से यही दावा किया जाता है कि शाही जामा मस्जिद एक मंदिर थी और वहां जलाभिषेक किया जाना चाहिए। इसी सिलसिले में हर साल जलाभिषेक की कोशिश होती है, जिसे प्रशासन समय रहते रोक देता है।
दोनों समुदायों में असहमति
जहां हिंदू संगठन इसे आस्था का सवाल बता रहे हैं, वहीं मुस्लिम समुदाय इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश मान रहा है। उनका कहना है कि जब मामला कोर्ट में लंबित है, तो इस तरह के ऐलान समाज में तनाव और बंटवारे को बढ़ावा देते हैं।