आवारा श्वानों द्वारा हमले की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें उनकी आबादी कम करने और रेबीज जैसी बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर नसबंदी और टीकाकरण की पहल शामिल हो सकती है। इसके अतिरिक्त आवारा श्वानों के प्रति लोगों के रवैयों में बदलाव की भी महती आवश्यकता है। जन सहभागिता के माध्यम से आवारा श्वानों के लिए आश्रय स्थलों का निर्माण और रखरखाव इन्हें एक सुरक्षित, स्वस्थ और नैतिक वातावरण प्रदान कर सकता है। स्थानीय नागरिकों के द्वारा एक ऐसे स्थान का निर्माण भी किया जा सकता है, जहां घर का बचा भोजन श्वानों के लिए डालने का प्रबंध किया जाए, जिससे श्वानों को भोजन मिल सके और वे आक्रामक होने से बचे रहें। – डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
आवारा श्वानों के काटने की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उनकी नसबंदी करना एक प्रभावी तरीका है उनके प्रजनन को नियंत्रित करने का। इससे उनकी संख्या कम होगी और काटने की घटनाएं भी घटेंगी। उन्हें आश्रय प्रदान करना एक और विकल्प है, इससे वे सड़कों पर नहीं घूमेंगे। कूड़े-कचरे का उचित प्रबंधन भी जरूरी है, ताकि उन्हें भोजन के लिए आवासीय इलाकों में न आना पड़े। इसके अलावा उनकी नियमित निगरानी और उन्हें चिकित्सा सुविधा प्रदान करना भी आवश्यक है। स्थानीय प्रशासन को आवारा श्वानों की समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और उनके लिए ठोस समाधान निकालना चाहिए। – संजय निघोजकर, धार
नगर निगम को चाहिए कि वह आवारा श्वानों को रिहायशी इलाकों से पकड़कर कही दूर ऐसे स्थानों पर, जहां उनकी आवश्यकता की सभी वस्तुएं उपलब्ध हो ऐसी जगह पर छोड़ दें और उनकी निगरानी रखे, जिससे आम जनता को कुत्तों के काटने की घटनाओं से बचाया जा सके। – विकास पाल, चित्तौड़गढ़