आजकल यह देखने मे आ रहा है कि सयुंक्त परिवारों में कमी आ रही है। परस्पर तालमेल की कमी, कई बार सम्पत्ति विवाद आदि संयुक्त परिवारों के विघटन का कारण बनते हैं। – सुरेन्द्र नागर, कोटा
अक्सर शहरों में बेहतर रोजगार के अवसरों की तलाश में गांवों से लोगों का पलायन संयुक्त परिवार की संरचना को तोड़ता है तथा शहरों में रहने की उच्च लागत और सीमित स्थान बड़े परिवारों के साथ रहने को अव्यावहारिक बना देता है। देखा जाए तो आधुनिक चकाचौंध व्यक्तिवाद और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देती है, जिससे युवा पीढ़ी अपनी पहचान और निर्णय स्वयं लेना चाहती है, जो अक्सर एकल परिवार में अधिक आसानी से संभव होता है। अब महिलाएं भी आर्थिक रूप से अधिक स्वतंत्र हैं। अपने जीवन के बारे में स्वयं निर्णय लेने की इच्छा रखती हैं। संयुक्त परिवार की पारंपरिक संरचना में कई बार महिलाओं को अपनी आकांक्षाओं को सीमित करना पड़ सकता है, जिससे एकल परिवार की ओर रुझान बढ़ता है जहाँ वे अधिक स्वायत्तता का अनुभव कर सकती हैं। – डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
सहनशीलता की कमी सबसे बड़ा कारण है। जबकि संयुक्त परिवार आपकी प्रेम, त्याग और सहनशीलता पर टिके होते हैं। दूसरा बड़ा कारण हमें सबको आजादी चाहिए। संस्कृति के अनुसार रहना हमें बंधन महसूस कराता है। प्रेम से साथ-साथ रहते हुए हमें अपनी जिम्मेदारियां को निभाना सीखना होगा एक दूसरे को स्वीकार करना सीखना होगा। – अनुपमा बंसल, बीकानेर
आज के समाज में संयुक्त परिवारों का टूटकर एकल परिवारों में परिवर्तित होना एक आम बात बन गई है। इसके पीछे कई सामाजिक, आर्थिक और वैचारिक कारण हैं, जैसे आर्थिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता, नौकरी और स्थानांतरण, शहरीकरण और आवास की कमी। इन सभी कारणों ने मिलकर संयुक्त परिवार की परंपरा को धीरे-धीरे कमजोर कर दिया है और एकल परिवारों को बढ़ावा मिला है। – डॉ. प्रियांशु मिश्रा, भोपाल
पहले खेती बाड़ी व पुश्तैनी व्यवसाय से ही संयुक्त परिवारों का गुजारा हो जाता था। लेकिन अब काम की तलाश में बाहर जाना पड़ता है। पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव भी हमारे समाज पर हो रहा है। बढ़ती हुई आबादी का घनत्व भी इसका मुख्य कारण है। संयुक्त परिवार में निजी स्वतंत्रता के अवसर कम मिलते हैं। विभिन्न सोच व मूल्यों का भी टकराव होता है। जीवन शैली में बदलाव के कारण भी चुनौतियां बढ़ रही हैं। सबसे बड़ी समस्या संयुक्त परिवार का आर्थिक भार, जो कोई नहीं उठाना चाहता है। आर्थिक समस्या ने सारे समीकरण बदल दिए हैं। – लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़
परिवारों में आपसी समझ नहीं रहना, अपने हितों तक सीमित रहना, आपसी झगड़े, मनमुटाव, संयुक्त परिवार में मुखिया द्वारा भेदभाव की बातें, सबको एक नजर से नहीं देखने, पारिवारिक विवाद, कलह, समानता का व्यवहार नहीं करने तथा सहनशक्ति का अभाव भी घटते संयुक्त परिवारों व बढ़ते एकल परिवारों के कारण हैं। – शिवजी लाल मीना, जयपुर