निश्चित रूप से मैंने मदद की (Trump 1000 years conflict comment)
“मैं यह नहीं कहना चाहता कि मैंने किया… लेकिन मैं वहां था और निश्चित रूप से मैंने मदद की,”ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान “लगभग 1000 साल से लड़ रहे हैं,” और उन्होंने खुद को इस संघर्ष के समाधान के रूप में पेश किया। – डोनाल्ड ट्रंप, (व्हाइट हाउस/यूट्यूब )
ट्रंप के बयान: अक्सर रणनीतिक, कभी-कभी अतिरंजित
भारत और पाकिस्तान को आजाद हुए 78 साल हुए हैं, 100 बरस भी नहीं हुए हैं। डोनाल्ड ट्रंप के बयानों में अक्सर व्यक्तिगत क्रेडिट लेने की प्रवृत्ति होती है। वे अपने समर्थकों को दिखाना चाहते हैं कि वे “अमेरिका फर्स्ट” को लागू कर रहे हैं, इसलिए टेक कंपनियों को घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पर ज़ोर देते हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर एप्पल जैसी कंपनियां बिज़नेस लॉजिक से फैसले करती हैं, किसी राजनेता की इच्छा से नहीं। मसलन ट्रंप ने पहले भी कहा था कि “एप्पल अमेरिका में बनाए”, लेकिन एप्पल ने चीन और भारत दोनों में उत्पादन बढ़ाया, क्योंकि ये फैसले लागत, कुशल श्रम और सप्लाई चेन पर आधारित होते हैं।
भारत को लेकर ट्रंप का रवैया: व्यावसायिक सौदेबाजी
ट्रंप अक्सर भारत पर टैरिफ और व्यापार घाटे को लेकर दबाव बनाते रहे हैं। वे भारत को एक बड़ी मार्केट के तौर पर देखते हैं, लेकिन अमेरिकी कंपनियों को भारत में बेचने में आने वाली दिक्कतों को भी बार-बार उठाते हैं। इसलिए उनका कहना — “भारत में मत बनाओ, अमेरिका में बनाओ” — एक सौदेबाजी की भाषा है। यह पूरी तरह फाइनल पॉलिसी नहीं, बल्कि बातचीत का टूल है।
क्या एप्पल मानेगा ट्रंप की बात ?
Apple जैसी कंपनियां बिज़नेस डेटा और लॉन्ग-टर्म स्ट्रैटेजी से चलती हैं, किसी राजनीतिक बयान से नहीं। भारत में एप्पल के प्रोडक्शन का बढ़ना इसलिए हुआ है क्योंकि भारत अब क्वालिटी मैन्युफैक्चरिंग + लोकल मार्केट का मजबूत कॉम्बो बन गया है। Apple ने 2024 में 22 बिलियन डॉलर के iPhones भारत में बनाए। ऐसे में ट्रंप की सलाह का कोई तात्कालिक असर नहीं दिखता। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की बातों को “हैंडल विद केयर” करें। ट्रंप की बयानबाज़ी को राजनीतिक स्टाइल और पब्लिक पोजिशनिंग के तौर पर देखा जाना चाहिएा व्यापारिक कंपनियों के निर्णय ट्रंप के भाषणों से नहीं, मार्केट और लॉजिक से तय होते हैं। ट्रंप की बातों पर पूरी तरह भरोसा करना व्यावहारिक नहीं, लेकिन इसे अमेरिका की रणनीतिक सोच की झलक ज़रूर मान सकते हैं।
ट्रंप का ‘पीस मेकर’ मोड-व्यापार और युद्ध दोनों में!
ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों के नेताओं के साथ व्यापार को बातचीत का जरिया बनाकर कूटनीतिक तनाव को शांत किया। उनका कहना है कि भारत और पाकिस्तान दोनों इस हस्तक्षेप से खुश थे, और अब “वे सही रास्ते पर हैं।” हालांकि ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि उन्हें “पूरा भरोसा नहीं है कि यह स्थायी समाधान है,” लेकिन उन्होंने दावा किया कि “स्थिति नियंत्रण से बाहर होने वाली थी।”
यह बयान क्यों अहम है?
भारत ने अब तक अमेरिका की किसी ‘शांति भूमिका’ को औपचारिक रूप से खारिज किया है। पाकिस्तान अक्सर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की बात करता रहा है। ट्रंप का बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका और भारत दोनों रणनीतिक साझेदारी को नया आकार दे रहे हैं।