किसानों के प्रदर्शन के प्रमुख बिंदु
किसानों ने नोएडा में 6 प्रमुख स्थानों पर ‘महापंचायत’ का आयोजन किया। नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय को करीब 250 किसानों ने घेरा, जबकि गलगोटिया अंडरपास पर 100 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ 1000 से ज्यादा किसान पहुंचे। किसान नोएडा-ग्रेटर नोएडा में अन्य जगहों पर भी एकत्र हुए, जिनमें यमुना विकास प्राधिकरण, गलगोटिया यूनिवर्सिटी का कट, स्पोर्ट्स सिटी का वीआईपी गेट, सलारपुर अंडरपास और रौनिजा अंडरपास शामिल हैं। प्रदर्शनकारी किसान अनिश्चितकालीन धरने की तैयारी के साथ आए हैं। उन्होंने राशन, खाने-पीने और पानी की पूरी व्यवस्था की है। बड़ी संख्या में महिलाएं भी आंदोलन में शामिल हुई हैं, जो आंदोलन को और मजबूती दे रही हैं।
नोएडा प्राधिकरण का घेराव भारतीय किसान यूनियन (मंच) के बैनर तले किया जा रहा है। वहीं, गलगोटिया अंडरपास पर किसान एकता संघ और भारतीय किसान यूनियन के सदस्य शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि भारतीय किसान परिषद ने इस आंदोलन से खुद को अलग रखा है।
किसानों का स्पष्ट कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वे धरने पर डटे रहेंगे। उन्होंने अधिकारियों से स्पष्ट कहा है कि वे अगली वार्ता में “कागज के साथ आएं”, जिसका अर्थ है कि वे केवल मौखिक आश्वासन नहीं, बल्कि लिखित समाधान चाहते हैं।
किसानों की 10 प्रमुख मांगें
भूमिहीन किसानों को आवासीय भूखंड: जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित होने के बाद वे भूमिहीन हो गए हैं, उन्हें आवासीय भूखंड दिए जाएं। सर्किल रेट वृद्धि: नोएडा में पिछले 12 सालों से सर्किल रेट नहीं बढ़ाए गए हैं, जिन्हें तत्काल बढ़ाया जाए।
भूमि अधिग्रहण कानून का लाभ: 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून को लागू कर किसानों को उसका पूरा लाभ दिया जाए। विकसित आवासीय भूखंड: नोएडा के सभी किसानों को 10% विकसित आवासीय भूखंड का लाभ दिया जाए।
पुरानी आबादी की समस्याएं: किसानों की पुरानी आबादी को परिवार के आधार पर जहाँ वे रह रहे हैं, वहीं स्थापित किया जाए। बैंक लीज, शिफ्टिंग प्लॉट आदि की समस्याओं का समाधान किया जाए। भूखंड विकास का मुद्दा: जगनपुर, दनकौर, रखरखा सहित दर्जनों गाँवों की जमीन अधिग्रहित की गई है, लेकिन अभी तक सिर्फ 7% आवासीय भूखंड ही विकसित हो पाए हैं, शेष का विकास शीघ्र किया जाए।
मुआवजा वितरण: जेपी इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के लिए गाँव जगनपुर, अट्टा, गुजरां, औरंगाबाद, गुनपुरा, सिलारपुर, रखरखा गाँवों की अधिग्रहित जमीन का मुआवजा अब तक नहीं मिला है, जिसका तत्काल वितरण हो। यमुना एक्सप्रेसवे प्रभावित किसान: यमुना एक्सप्रेसवे बनाने में जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी, उन्हें 64.7% अतिरिक्त प्रतिकर (मुआवजा) और आवासीय भूखंड दिए जाएं।
रोजगार के अवसर: यमुना प्राधिकरण में स्थापित होने वाली Vivo, Oppo सहित सभी औद्योगिक कंपनियों में योग्यता के आधार पर बेरोजगार हुए किसानों के बच्चों को रोजगार दिया जाए। स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं : शिक्षण संस्थानों और अस्पतालों में किसानों के लिए कोटा निर्धारित किया जाए। साथ ही, OPD में सुबह-शाम 2 घंटे के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाए।
मंगलवार को हुई थी बैठक, लेकिन समाधान नहीं
इससे पहले मंगलवार को भारतीय किसान परिषद के प्रतिनिधिमंडल की बैठक नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम के साथ हुई थी। परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर खलीफा ने बताया कि बैठक में किसानों की समस्याएं रखी गई थीं। सीईओ ने 5क के बाद 5ख व 5ग कर किसानों के नाम खतौनी में दाखिल करने के प्रकरण को जिलाधिकारी स्तर से हस्ताक्षर कराकर एक माह के भीतर निस्तारित करने का वादा किया था। साथ ही, एक महीने में पांच प्रतिशत प्लॉट लगाने का आश्वासन भी दिया गया। सीईओ ने यह भी कहा कि जल्द ही प्रमुख सचिव औद्योगिक से बातचीत कर गवर्नमेंट ऑर्डर जारी करवाया जाएगा। हालांकि, आज के प्रदर्शन से स्पष्ट है कि किसान इन आश्वासनों से संतुष्ट नहीं हैं और ठोस कार्रवाई चाहते हैं।
किसानों का यह विशाल प्रदर्शन प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है, और उम्मीद है कि जल्द ही कोई सार्थक समाधान निकलेगा ताकि आम जनजीवन प्रभावित न हो।