अंत में यज्ञोपवीत पूजन किया गया। जिसमें पंडितों ने यज्ञोपवीत की पूजा की और नर्मदा में पुन स्नान कर नया यज्ञोपवीत धारण किया। अनुष्ठान के आचार्य पं. देवव्रत पाराशर ने बताया कि यह अनुष्ठान विप्रजनों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस अनुष्ठान में पापों से मुक्ति के लिए दशविधि स्नान, प्रायश्चित के लिए महासंकल्प और यज्ञोपवीत का शुद्धिकरण किया जाता हैै। उन्होंने कहा कि यह आत्मशुद्धि का पर्व है। वर्ष के दौरान जाने अंजाने में किए गए पापकर्मो से मुक्ति और प्रायश्चित के लिए इस पर्व के मनाने का शास्त्रों में भी विधान है। इस आयोजन में क्षेत्र से बड़ी संख्या में विप्रजन शामिल हुए और अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ इन कार्यों में भाग लिया। गौरतलब है कि यह आयोजन विप्र समाज के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहां वे अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को निभाने के साथ-साथ अपनी एकता और संगठन को भी प्रदर्शित करते हैं।