संघ की सचिव डी. नागलक्ष्मी ने कहा कि इस वर्ष की शुरुआत में, मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने आशा कार्यकर्ताओं की मांगों को स्वीकार करते हुए अप्रेल से हर महीने 10,000 रुपए की मानदेय राशि के भुगतान की घोषणा की थी। सरकार ने राज्य बजट में किए गए वादे के अनुसार अप्रेल से आंगनबाड़ी और मध्याह्न भोजन कर्मचारियों के मानदेय में 1,000 रुपए की वृद्धि की, लेकिन आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय में कोई वृद्धि नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अभी तक ऐप पर डेटा अपलोड करने के लिए स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर वादे के मुताबिक 280 रुपए प्रति माह नहीं दिए हैं। सरकार ने सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष तय की है और 50,000 रुपए का गोल्डन हैंड शेक (एक वित्तीय भुगतान,जो आमतौर पर किसी कर्मचारी को कंपनी छोडऩे पर दिया जाता है) देने की योजना बनाई है। पश्चिम बंगाल की तर्ज पर गोल्डन हैंड शेक राशि को तीन लाख रुपए करने की जरूरत है ताकि आजीविका चलती रहे।प्रति आशा कार्यकर्ता 1,000 की आबादी के कवरेज को लगभग दोगुना करने का प्रस्ताव है। इसलिए कई अपनी नौकरी जाने को लेकर चिंतित हैं। इसके अलावा, यह आशा कार्यकर्ताओं पर बोझ होगा क्योंकि सरकार उन्हें कोई यात्रा भत्ता नहीं देती है। सरकार हर 20 आशा कार्यकर्ताओं पर नियुक्त आशा फैसिलिटेटरों को हटाने की योजना बना रही है, जो नहीं किया जाना चाहिए।