हम्पी कन्नड़ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. ए. मुरीगेप्पा ने कहा, सरकार निजी स्कूलों का पक्ष ले रही है और सरकारी स्कूलों को बंद करके अपना बोझ उतार रही है। इससे गरीब परिवारों के बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। उन्होंने मांग की कि छात्रों की संख्या चाहे कितनी भी हो, सरकारी स्कूलों को बंद नहीं किया जाना चाहिए। इसके बजाय, सरकार को चाहिए कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करे।
एआइडीएसओ AIDSO के प्रदेश सचिव अजय कामत ने आरोप लगाया कि कई छात्रों को फ्रीडम पार्क FREEDOM PARK पहुंचने से रोकने के लिए सरकार ने शिक्षकों का सहारा लिया। कई स्कूलों और कॉलेजों में अचानक परीक्षाएं आयोजित की गईं।एआइडीएसओ की प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी के.एस. ने कहा कि 50 लाख लोगों ने हस्ताक्षर करके छात्रों का समर्थन किया है और उन्हें इस कार्यक्रम में भेजा है। स्कूली शिक्षा व साक्षरता मंत्री मधु बंगारप्पा ने बयान दिया है कि कम प्रवेश के कारण एक भी सरकारी स्कूल बंद नहीं हुआ है और भविष्य में ऐसा कोई स्कूल बंद नहीं होगा।
हालांकि, कम प्रवेश वाले स्कूलों को बंद करने और विलय करने का सरकार का आदेश अभी भी लागू है। उन्होंने मांग की कि सरकार हब एंड स्पोक के नाम पर स्कूलों के विलय के आदेश को आधिकारिक रूप से वापस ले।
सरकार की ओर से प्राथमिक शिक्षा विभाग की निदेशक अनीता एन. फ्रीडम पार्क पहुंची और हस्ताक्षर एकत्र किए। एआइडीएसओ के एक प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें एक ज्ञापन सौंप सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और बुनियादी ढांचे जैसी गंभीर समस्याओं के समाधान का आग्रह किया गया।
सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी उद्देश्य विभिन्न जिलों के छात्र अपने अभिभावकों के साथ फ्रीडम पार्क पहुंचे और सरकारी स्कूलों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर किया। यादगीर के नौवीं कक्षा के छात्र विक्रम ने 6,000 से ज्यादा स्कूलों को बंद करने की सरकार की योजना पर चिंता जताई।
कई छात्रों ने कहा कि उनका संघर्ष केवल बेहतर बुनियादी ढांचे के लिए ही नहीं, बल्कि ग्रामीण और हाशिए के समुदायों के बच्चों के लिए सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भी है।