पार्षद एस जीवन (वार्ड 35) ने कहा, ” जलापूर्ति व सीवेज बोर्ड ने एक अलिखित कानून लागू किया है कि नए कनेक्शन के लिए केवल ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अनुरोध करना होगा और भुगतान भी ऑनलाइन ही करना होगा। विभाग नकद, डिमांड ड्राफ्ट या चेक स्वीकार करने से इनकार कर रहा है। कितने नागरिक ऑनलाइन लेनदेन में पारंगत हैं?”
पार्षदों को नहीं लिया जाता विश्वास में
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मेट्रो वाटर के अधिकारी ड्रेनेज कनेक्शन के लिए सड़क काटने से पहले पार्षदों से अनुमति या सहमति नहीं ले रहे थे। पार्षदों ने आवेश में कहा, “यह अधिकार क्षेत्र का पूर्ण उल्लंघन है। वे ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे हमारे पास कोई अधिकार “कुछ ठेकेदार और उनके कर्मचारी जीसीसी अधिकारियों का सम्मान नहीं करते हैं जब उनसे सवाल किया जाता है और ऐसा इसलिए है क्योंकि मेट्रो वाटर बोर्ड के एमडी ने निगम में डिप्टी कमिश्नर के रूप में काम किया था।”
मेयर से दखल की मांग
अन्य वार्ड पार्षदों ने भी इसी तरह की शिकायतें उठाईं और स्थिति को हल करने के लिए मेयर से हस्तक्षेप करने की मांग की। उन्होंने भी आरोप लगाया कि ड्रेनेज कनेक्शन के लिए सड़क काटने वाले ठेकेदार बढ़ी हुई दरों का दावा कर रहे हैं। उन्होंने मेयर से आग्रह किया, “सड़क काटने के कामों के लिए ठेका प्रणाली को खत्म करें।”उनकी शिकायतें सुनने के बाद, मेयर प्रिया ने सीएमडब्ल्यूएसएसबी के प्रबंध निदेशक, नगर प्रशासन और जल आपूर्ति सचिव और जीसीसी आयुक्त के साथ समीक्षा बैठक का आश्वासन दिया, जिसे पार्षदों को एक विस्तृत रिपोर्ट के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।