उन्होंने कहा कि मेडिकल टूरिज्म को बढ़ाने में एम्स जैसे संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान है। अन्य देशों से यहां कम खर्च लगता है, इसलिए बाहर से भी लोग आते हैं। हमारे यहां डॉक्टर को भगवान मानते हैं। संवेदनशील चिकित्सक न केवल इलाज से बल्कि अपने व्यवहार से भी मरीज को ठीक होने में मदद करता है। उन्होंने चिकित्सक के सामाजिक योगदान और राष्ट्र निर्माण में उनकी अहम भूमिका को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि भारत की स्वास्थ्य सेवाएं अब तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। टेली-मेडिसिन, एआई, वियरेबल टेक जैसी उन्नत विधियां मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवा को और बेहतर बना रही हैं। भारत में इलाज का खर्च अन्य कई देशों की तुलना में बहुत ही कम है, जिसके कारण विदेशों से भी लोग यहां इलाज के लिए आते हैं। यह भारत के गौरव की गाथा है।
उन्होंने कहा कि एम्स संस्थान भारत की चिकित्सा क्षमता के प्रतीक हैं। यहां हर मरीज को उम्मीद की नई किरण दिखाई देती है। इस संस्थान ने देश में चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और उपचार के क्षेत्र में उच्चतम मानक स्थापित किए हैं। एम्स गोरखपुर ने बहुत कम समय में शिक्षा, अनुसंधान और चिकित्सा सेवाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।
गोरखपुर के पहले दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संस्थान की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान गुणवत्ता, सेवा और नवाचार की परंपरा को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है और क्षेत्रीय स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त बना रहा है। यह संस्थान देश की स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त बना रहा है, और एम्स गोरखपुर इस गौरवपूर्ण परंपरा को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रहा है।