एफएसएल की रिपोर्ट ने बताया कैसे हुआ हादसा?
एफएसएल टीम द्वारा पुलिस को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि जब पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दरवाजा तोड़ा तो कमरे में एलपीजी चूल्हा जलता मिला। चूल्हे से स्पष्ट रूप से आग की लौ निकल रही थी और कमरे में कोई खिड़की या वेंटिलेशन की व्यवस्था नहीं थी। लगातार जलती आग के चलते कमरे की ऑक्सीजन खत्म हो गई और उसमें कार्बन मोनोऑक्साइड गैस बन गई, जो बेहद जहरीली होती है। इस जहरीली गैस की वजह से कमरे में सो रहे चारों युवक बेसुध हो गए और दम घुटने से तीन की मौके पर ही मौत हो गई। चौथा युवक गंभीर हालत में एम्स में भर्ती है, जहां उसका इलाज जारी है।
थकान और लापरवाही बनी वजह
पुलिस अधिकारियों की मानें तो प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि मृतक युवक इमरान, मोहसिन और कपिल तथा अस्पताल में भर्ती हसीब चारों आपस में दोस्त थे। ये गुरुग्राम में एसी रिपेयरिंग का काम करते थे। वे रोज सुबह जल्दी काम पर निकलते और देर रात करीब 12 बजे के आसपास लौटते थे। शुक्रवार रात भी चारों युवक काम से लौटे और रात के खाने के लिए चावल बनाए। खाना खाने के बाद वे इतनी थकान में थे कि गैस का चूल्हा बंद करना भूल गए और सो गए। लगातार जल रहे चूल्हे ने कमरे की हवा को विषैला बना दिया और यह त्रासदी हो गई।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और एफएसएल की पुष्टि
तीनों मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के बाद उनके परिजनों को सौंप दिया गया है। एफएसएल ने मौके से मिले सिलेंडरों और गैस सिस्टम की जांच की, जिसमें किसी तरह के रिसाव की पुष्टि नहीं हुई। डॉक्टरों की शुरुआती रिपोर्ट में भी मौत का कारण दम घुटना बताया गया है। एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हसीम की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। डॉक्टरों की निगरानी में उसका इलाज चल रहा है और पुलिस उससे पूछताछ करने के लिए मेडिकल क्लीयरेंस का इंतजार कर रही है।
गैस चूल्हा और ऑक्सीजन की कमी कैसे बनती है मौत का कारण?
विशेषज्ञों के अनुसार, एलपीजी (LPG) यानी Liquefied Petroleum Gas मुख्य रूप से प्रोपेन (C₃H₈) और ब्यूटेन (C₄H₁₀) का मिश्रण होती है। यह एक ज्वलनशील गैस है जो जलने पर ऑक्सीजन की मदद से ऊर्जा (हीट) और पूर्ण दहन वाली कुछ गैसें छोड़ती है। जब कमरे में पर्याप्त वेंटिलेशन नहीं होता तो ऑक्सीजन की मात्रा घटने लगती है और गैस का दहन अपूर्ण (Incomplete) हो जाता है। इससे कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) बनती है। जो बेहद जहरीली गैस है। CO गैस गंधहीन, रंगहीन और स्वादहीन होती है। इसका पता लगाना मुश्किल होता है। यह रक्त में मौजूद हीमोग्लोबिन से बंधकर शरीर में ऑक्सीजन पहुंचने से रोक देती है। इससे दिमाग और हृदय को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाती है, और व्यक्ति बेहोश हो सकता है या उसकी मृत्यु हो सकती है।
बंद कमरे में यह और खतरनाक क्यों होता है?
ऑक्सीजन खत्म होती रहती है लेकिन गैस चूल्हा जलता रहता है। कोई वेंटिलेशन नहीं होता तो CO गैस बाहर नहीं निकल पाती। सोते समय व्यक्ति को इसका पता भी नहीं चलता। धीरे-धीरे दम घुटता है और मौत हो जाती है। इसलिए गैस चूल्हे का उपयोग करने के बाद बंद जरूर करें। बंद कमरों में चूल्हा जलता न छोड़ें। किचन या कमरे में वेंटीलेशन के लिए एग्ज़ॉस्ट फैन या खिड़की जरूर रखें। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से घर में CO डिटेक्टर लगवाएं। विशेष रूप से छोटे या वेंटिलेशन रहित कमरों में यह बहुत जरूरी है।