अदालत ने केंद्र से दो हफ्ते में मांगा जवाब
सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने आम आदमी पार्टी की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में AAP ने केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें विट्ठलभाई पटेल हाउस स्थित ‘डबल सुइट’ का आवंटन निरस्त कर दिया गया। दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में आम आदमी पार्टी ने बताया कि केंद्र सरकार के संपदा निदेशालय ने उनके पार्टी कार्यालय के लिए आवंटित डबल सुइट को 14 सितंबर 2024 से निरस्त कर दिया, लेकिन इसकी सूचना 17 जनवरी 2025 को एक पत्र के जरिए दी गई। आम आदमी पार्टी का दावा है कि उन्हें इस फैसले के खिलाफ न तो कोई कारण बताओ नोटिस मिला और न ही सुनवाई का मौका दिया गया।
परिसर खाली करने के बाद भी किराया मांगने का आरोप
याचिका में आम आदमी पार्टी की ओर से आगे कहा गया है कि इसके बाद AAP ने 30 अप्रैल 2025 को स्वेच्छा से परिसर खाली कर दिया, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से 6 मार्च और 13 मई को पत्र भेजकर लगभग 8 लाख रुपये का किराया मांगा गया। जो डबल सुईट के निरस्तीकरण की तिथि से लेकर परिसर खाली करने की तिथि तक का बताया गया है। AAP के वकील ने कोर्ट से आग्रह किया कि 20 जून को भेजे गए रिमाइंडर नोटिस पर तत्काल रोक लगाई जाए। ताकि जब तक मामला कोर्ट में है, पार्टी पर कोई कार्रवाई न हो। इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि फिलहाल कोई जल्दबाज़ी नहीं होगी और अगली सुनवाई तक कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।
सरकारी पक्ष की दलील
इस मामले में सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के वकील ने तर्क दिया कि इस पूरे मामले में केवल एक नोटिस भेजा गया है और अब आगे की कार्रवाई ‘सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) अधिनियम’ के तहत की जाएगी। सरकारी वकील ने अदालत को आश्वस्त किया कि अगली सुनवाई से पहले कोई दबावपूर्ण कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस दौरान हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह का समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई 2025 को तय की है। तब तक केंद्र सरकार को अपना लिखित पक्ष पेश करना होगा। AAP की मांग है कि उनके साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया है। अब अदालत के फैसले से तय होगा कि क्या AAP को बिना सुनवाई के कार्यालय से हटाया जाना उचित था या नहीं? क्या उन पर मांगा गया किराया वैध है?