गाजियाबाद के फर्जी दूतावास से जुड़ा है मामला
इस पूरे प्रकरण की शुरुआत 23 जुलाई 2025 को हुई, जब नोएडा एसटीएफ ने गाजियाबाद के कविनगर थाना क्षेत्र में एक कथित दूतावास का भंडाफोड़ किया। यह दूतावास पूरी तरह फर्जी था और इसे हर्षवर्धन जैन नामक व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा रहा था। जैन खुद को दो देशों का राजदूत और चार अन्य देशों का राजनीतिक सलाहकार बताता था। उसने अपने आवास में बड़े-बड़े नेताओं के साथ फोटोशॉप की गई तस्वीरें लगाई थीं, जिससे लोगों को भ्रमित किया जा सके।
22 लोग, सात राज्य, करोड़ों की ठगी
एसटीएफ की जांच में अब तक यह सामने आया है कि पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुल 22 लोगों ने हर्षवर्धन जैन को मोटी रकम देकर काउंसिल की उपाधि प्राप्त की थी। इन लोगों का मकसद मुख्य रूप से लाइजनिंग (संपर्क स्थापित कर लाभ उठाना) था। इसके अलावा हवाला नेटवर्क से जुड़ी गतिविधियों की भी जांच की जा रही है।
कंपनियों और खातों की भी जांच
एएसपी राजकुमार मिश्र के अनुसार, हर्षवर्धन जैन की कुल 19 फर्जी कंपनियां और 20 बैंक खाते चिन्हित किए गए हैं। एसटीएफ इन बैंक खातों में हुए लेनदेन की गहराई से जांच कर रही है। वहीं, दिल्ली से बरामद दस्तावेजों में कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं, जिन्हें खंगाला जा रहा है। एसटीएफ ने विदेशों से भी इन कंपनियों और व्यक्तियों के बारे में जानकारी मांगी है, ताकि पूरे नेटवर्क को उजागर किया जा सके।
रिमांड में सहयोग नहीं, दस्तावेज बने सुराग
हर्षवर्धन जैन को पांच दिन की पुलिस रिमांड पर लेकर एसटीएफ ने पूछताछ की थी। हालांकि, अधिकारियों के अनुसार, जैन ने पूछताछ में खास सहयोग नहीं किया। बावजूद इसके, दिल्ली से मिले दस्तावेजों में कई ऐसे प्रमाण मिले हैं जो जांच को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।
जांच में सामने आ सकते हैं और भी नाम
एसटीएफ के अनुसार, अभी और लोगों के नाम सामने आ सकते हैं जिन्होंने काउंसिल के फर्जी पदों के लिए पैसे दिए थे। यह लोग अपनी सामाजिक छवि को मजबूत करने और सरकारी तंत्र में प्रभाव स्थापित करने के लिए इन पदों का उपयोग कर रहे थे। जांच के अगले चरण में इन सभी 22 लोगों को तलब कर पूछताछ की जाएगी। इस मामले में हवाला और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं। एसटीएफ की यह कार्रवाई एक बड़े फर्जीवाड़े को उजागर करने की दिशा में अहम मानी जा रही है, जो राजनीति, व्यवसाय और अपराध की मिलीभगत का गंभीर उदाहरण है।