यूट्यूबर एल्विश यादव के वकील ने दिए ये तर्क
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को याचिकाकर्ता यूट्यूबर एल्विश यादव की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि इस पूरे मामले में एनडीपीएस अधिनियम की धाराएं लागू ही नहीं होतीं, और इन्हें जानबूझकर एक प्रसिद्ध व्यक्ति के खिलाफ सनसनी फैलाने के उद्देश्य से जोड़ा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत जो आरोप लगाए गए हैं, वे भी कानूनन कमजोर हैं क्योंकि किसी सक्षम अधिकारी द्वारा शिकायत दर्ज नहीं की गई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मई 2025 में यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ चल रही कार्यवाही को रद्द करने की मांग की थी। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा था कि किसी व्यक्ति की लोकप्रियता, चाहे वह कितना भी बड़ा प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं हो सकती। अदालत ने कहा था कि कानून की दृष्टि में सभी नागरिक समान हैं।
एल्विश यादव पर जिंदा सांपों के इस्तेमाल का आरोप
एल्विश यादव पर लगे आरोपों में यह भी कहा गया है कि उन्होंने अपने यूट्यूब और सोशल मीडिया वीडियो में जिंदा सांपों का इस्तेमाल किया, जो कि वन्य जीव अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है। इसके अलावा, रेव पार्टियों में कथित तौर पर सांप के ज़हर का प्रयोग नशे के रूप में करने के आरोप भी लगाए गए हैं, जो एनडीपीएस अधिनियम के अंतर्गत आता है।
सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक कार्यवाही पर लगाई रोक
अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले में अंतरिम राहत देते हुए यादव के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है। हालांकि, मामला अभी समाप्त नहीं हुआ है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी नोटिस के तहत उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करना होगा और अगली सुनवाई में यह तय किया जाएगा कि मामले में आगे की कार्यवाही कैसे चलेगी। यह मामला अब न केवल एक कानूनी लड़ाई बन गया है, बल्कि यह सोशल मीडिया पर मशहूर हस्तियों की जवाबदेही, वन्य जीवों के संरक्षण और नशीले पदार्थों के प्रयोग जैसे गंभीर विषयों को भी उजागर करता है। सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में इस प्रकरण पर और रोशनी पड़ने की उम्मीद है।