सरकार का यह कदम राजधानी में मानसून के दौरान उत्पन्न होने वाली समस्याओं से प्रभावी तरीके से निपटने की दिशा में उठाया गया है। मानसून के आगमन से पहले नालियों की सफाई, जलभराव की रोकथाम, सड़कों की मरम्मत और शहर भर में मलबा हटाने जैसे कार्य युद्धस्तर पर किए जा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में अधिकारियों द्वारा 400 से अधिक जलभराव वाले स्थलों की पहचान की जा चुकी है। जिन्हें मानसून से पहले दुरुस्त करना अत्यंत आवश्यक है।
पिछले साल कोचिंग सेंटर में भरा था पानी
दरअसल, पिछले साल ओल्ड राजिंदर नगर इलाके में जलभराव के चलते एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर गया था। जिसमें फंसकर तीन छात्रों की मृत्यु हो गई थी। यह घटना दिल्ली में जलभराव की गंभीरता को दर्शाती है और इस बार सरकार अतिरिक्त सतर्कता बरतने के प्रयास कर रही है। इसी के चलते दिल्ली की भाजपा (BJP) सरकार ने यह दावा किया है कि दिल्ली को जलभराव की समस्या से मुक्त बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पुराने ड्रेनेज सिस्टम की खामियों और नालियों में गाद जमा होने जैसी समस्याओं के कारण हर वर्ष मानसून के दौरान राजधानी के कई इलाकों में जलभराव हो जाता है। दिल्ली के जल एवं लोक निर्माण मंत्री प्रवेश वर्मा ने घोषणा की है कि पीडब्ल्यूडी के अधिकार क्षेत्र में आने वाली लगभग 1400 किलोमीटर लंबी नालियों की सफाई का कार्य 31 मई तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके अतिरिक्त अन्य एजेंसियां भी अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली नालियों की सफाई के कार्य में जुटी हुई हैं। मंत्री वर्मा ने यह भी जानकारी दी कि चिन्हित जलभराव स्थलों की विशेष निगरानी के लिए 345 इंजीनियरों को प्रभारी नियुक्त किया गया है। यह इंजीनियर 345 जलभराव वाले स्थानों की विशेष निगरानी करेंगे। प्रत्येक प्रभारी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि भारी बारिश की स्थिति में पानी का त्वरित निकासी हो सके।
सरकार ने स्वचालित पंपों की भी पर्याप्त व्यवस्था की है। बारिश के समय इन पंपों का संचालन सुचारू रखने के लिए ऑपरेटरों को शिफ्टों में तैनात किया जाएगा। दिल्ली में मानसून सामान्यतः जून के अंत में प्रवेश करता है और इससे पहले सभी तैयारियां पूरी करने का लक्ष्य तय किया गया है। इससे पहले दिल्ली के पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने जलभराव वाले स्थानों पर तैनात किए गए सभी इंजीनियरों के सस्पेंशन लेटर तैयार करने के निर्देश दिए थे।