रक्षाबंधन के दिन हॉस्टल में लगाई फांसी
जानकारी के अनुसार, घटना शनिवार को रक्षाबंधन के दिन की है। छात्रा ने अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद करके फांसी का फंदा लगा लिया। अगले दिन, रविवार को जब साथी छात्राओं ने उसके कमरे का दरवाजा कई बार खटखटाने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो हॉस्टल प्रशासन को सूचना दी गई। दरवाजा तोड़कर अंदर प्रवेश किया गया, जहां वंशिका का शव फंदे से लटका मिला।
मौके से नहीं मिला सुसाइड नोट
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए बीके अस्पताल भेज दिया। पुलिस को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। आत्महत्या के कारणों को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है। फरीदाबाद पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच टीम यूनिवर्सिटी के स्टाफ, हॉस्टल वार्डन और वंशिका के करीबी दोस्तों व सहपाठियों से पूछताछ कर रही है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया। पुलिस हॉस्टल रूम की भी बारीकी से जांच कर रही है, ताकि किसी प्रकार के साक्ष्य मिल सकें।
जुलाई में शारदा यूनिवर्सिटी में बीडीएस छात्रा की खुदकुशी
इस घटना से यूनिवर्सिटी प्रशासन में भी शोक और हैरानी का माहौल है। अधिकारियों का कहना है कि वंशिका पढ़ाई में अच्छी थी और किसी भी तरह की परेशानी की शिकायत उसने पहले कभी नहीं की थी। यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब दिल्ली-एनसीआर में छात्राओं की आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बीते महीने, 18 जुलाई को ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में बीडीएस सेकेंड ईयर की छात्रा ज्योति शर्मा ने हॉस्टल के कमरे में पंखे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। ज्योति गुरुग्राम की रहने वाली थी। इस मामले में छात्रा ने अपने सुसाइड नोट में दो प्रोफेसरों शैरी वशिष्ठ और महेंद्र सिंह चौहान समेत सात लोगों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था। पुलिस ने दोनों प्रोफेसरों को गिरफ्तार किया और यूनिवर्सिटी प्रशासन ने एफआईआर में नामजद सभी सातों लोगों को निलंबित कर दिया था। इस घटना ने शिक्षा संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य और उत्पीड़न को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए थे।
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते आत्महत्या के मामले चिंता का विषय
जुलाई और अगस्त के बीच, केवल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में छात्राओं द्वारा आत्महत्या के कई मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से अधिकांश उच्च शिक्षा संस्थानों से जुड़े हैं। मानसिक दबाव, शैक्षणिक प्रदर्शन का तनाव, व्यक्तिगत रिश्तों में तनाव और कभी-कभी उत्पीड़न के आरोप इन मामलों के पीछे प्रमुख कारणों के रूप में सामने आते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में काउंसलिंग सुविधाओं को मजबूत करने, छात्र-शिक्षक संवाद को बढ़ाने और उत्पीड़न के मामलों में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने की सख्त जरूरत है। साथ ही, परिवार और दोस्तों द्वारा समय रहते मानसिक परेशानी के संकेत पहचानना भी महत्वपूर्ण है, ताकि किसी छात्र को इस तरह के कदम उठाने से रोका जा सके।