भारतीय निर्यातकों की चिताएं बढ़ी
अमेरिकी टैरिफ की घोषणा के बाद भारतीय निर्यातकों की चिंताएं बढ़ गई हैं। हैंडीक्राफ्ट, चमड़ा, गारमेंट, रेशम, पीतल और ज्वैलरी कारोबारियों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से जल्द से जल्द हस्तक्षेप करने की मांग की है। अमेरिकी खरीदारों ने इन्हें ऑर्डर देना बंद कर दिया है या फिर दिए गए ऑर्डर को रोकना शुरू कर दिया है।
भारत किसी के दवाब में नहीं झुकेगा
अमेरिकी टैरिफ पर भारत सरकार बयान भी आया है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के भारत की मरी अर्थव्यवस्था वाले बयान पर प्रतिक्रिया दी है। गोयल ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। जल्दी ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। उनका मतलब साफ था- भारत किसी के दबाव में नहीं चलेगा। वह दुनिया से बराबरी के आधार पर व्यापार करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि गोयल ने अपने बयान से दिखाया कि भारत पीछे हटने वाला देश नहीं है, बल्कि मजबूत और आत्मविश्वासी देश है, जो हर बातचीत में सम्मान और बराबरी चाहता है। इधर, ट्रंप के टैरिफ से सियासी बवाल भी छिड़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सिवाय सब जानते हैं कि भारत एक ‘डेड इकोनॉमी’ (बर्बाद अर्थव्यवस्था) है। भाजपा ने अर्थव्यवस्था को खत्म किया है। अमेरिका के साथ व्यापार समझौता ट्रंप की शर्तों पर ही होगा और प्रधानमंत्री मोदी वही करेंगे, जो अमेरिकी राष्ट्रपति कहेंगे।
‘डेड इकोनॉमी’ बनाम ‘डेड हैंड’
ट्रंप ने कहा कि भारत-रूस मिलकर अपनी डेड इकोनॉमी को नीचे गिरा सकते हैं। रूस और अमेरिका लगभग कोई व्यापार नहीं करते हैं। इसे ऐसे ही रहने दें। रूस के असफल पूर्व राष्ट्रपति मेदवेदेव बहुत खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। इस पर मेदवेदेव ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, जहां तक ‘डेड इकोनॉमी’ और ‘खतरनाक क्षेत्र’ की बात है, तो शायद उन्हें अपनी पसंदीदा जॉम्बी फिल्में दोबारा देखनी चाहिए और याद रखना चाहिए कि कथित ‘डेड हैंड’, जिसका अस्तित्व ही नहीं है, कितना खतरनाक हो सकता है। ‘डेड हैंड’ शीत युद्ध काल की सोवियत प्रलय की अवधारणा को दर्शाता है। यह स्वचालित परमाणु-प्रतिक्रिया प्रणाली कथित तौर पर रूसी नेतृत्व के विनाश के बाद भी जवाबी हमला कर सकती थी।
सरकार में आते ही दुनिया को दी थी धमकी
दरअसल, अमेरिका में दूसरी बार राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन 7 दिन बाद इसे 31 जुलाई तक के लिए टाल दिया था। अब एक बार फिर उन्होंने टैरिफ लागू करने की तिथि को 7 दिन के लिए आगे बढ़ा दिया है। अमेरिका टैरिफ नीति का चीन ने सबसे अधिक मुखरता से जवाब दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर 145 फीसदी टैरिफ की घोषणा की तो चीन ने भी 125 फीसदी टैरिफ लगाया। मई में दोनों देशों ने आपसी सहमति से टैरिफ की दरें कम की और ट्रेड डील को लेकर बातचीत शुरू की।