X अकाउंट चाइना इन इंग्लिश फेक न्यूज फैला रहा है कि भारत की मोदी सरकार (Modi Government) अमेरिकी टैरिफ से के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। X अकाउंट ने लिखा कि भारत ने अमेरिकी आर्थिक नीतियों को देखते हुए द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित सकता है या समीक्षा कर सकता है।
PIB ने वायरल दावे को सिरे से खारिज किया है। प्रेस इंफोर्मेशन ब्यूरो ने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा भ्रामक है। भारत सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है। PIB ने लोगों को सलाह दी है कि वह सिर्फ आधिकारिक स्त्रोतों से जारी होने वाली खबरों पर भरोसा करें।
कहां तक पहुंची है ट्रेड डील पर बातचीत
ट्रंप के टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद भारत फिलहाल रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की तरफ नहीं सोच रहा है। जानकारी सामने आई है कि ट्रेड डील पर बातचीत को लेकर 24 अगस्त को अमेरिका प्रतिनिधियों का एक दल भारत आ सकता है। इस दौरान ऊर्जा सेक्टर में कोई समझौता होने की उम्मीद है।
अक्टूबर तक ट्रेड डील होना दूर की कौड़ी
हालांकि, एक्सपर्ट्स ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच बातचीत जिस तरह से आगे बढ़ रही है। उसे देखते हुए लगता है कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील अभी दूर की कौड़ी है। सितंबर महीने से पहले इस डील के होने की संभावना बेहद कम है। उन्होंने कहा कि ट्रेड डील की संभावित समय समय अक्टूबर है। हालांकि, आर्थिक विशेषज्ञों ने इस बात को स्वीकार किया है कि भारत के लिए 25 फीसदी अमेरिकी टैरिफ एक बुरी खबर है। उन्होंने कहा कि भारत को यह संकल्प लेना होगा कि वह डील पर बातचीत को आगे ले जाए और भारतीय उत्पादों पर रियायती टैरिफ लागू हो। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स शुल्क और जुर्माने के बिना, भारत का 25 फीसदी टैरिफ अन्य देशों की तुलना में कम है। जो ट्रेड डील को आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है।
ट्रंप ने किया था बड़ा दावा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उन्हें पता चला है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा।
ट्रंप ने कहा कि मुझे नहीं पता कि यह बात सही है या गलत। अगर इस बात में सच्चाई है तो यह एक अच्छा कदम होगा। बाकी देखते हैं क्या होता है।
भारत के एक्शन से उड़े होश
न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया है। ANI ने सूत्रों के हवाले कहा कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेगा। भारतीय रिफाइनरियां रूस से तेल खरीद रही हैं। भारत पहले ही साफ कर चुका है कि अमेरिका और रूस की तकरार से उन्हें फर्क नहीं पड़ता और उनके लिए राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है। रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक देश है, जिसका उत्पादन करीब 9.5 मिलियन बैरल प्रति दिन है।