scriptशुभांशु शुक्ला ने छात्रों से शेयर किए अंतरिक्ष में खाने और सोने से जुड़े एक्सपिरियंस, परिवार को दिखाया सूर्योदय | Shubhanshu Shukla shared his experiences of eating and sleeping in space with students, showed his family the sunrise from space | Patrika News
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शुभांशु शुक्ला ने छात्रों से शेयर किए अंतरिक्ष में खाने और सोने से जुड़े एक्सपिरियंस, परिवार को दिखाया सूर्योदय

अंतराष्ट्रिया स्पेस स्टेशन पर मौजूद भारतीय अंतरीक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने देश के स्कूली छात्रों से बात कर उन्हें स्पेस पर अपने जीवन के बारे में बताया। साथ ही परिवार को वीडियो कॉल के जरिए अंतरिक्ष से सूर्योदय भी दिखाया

भारतJul 05, 2025 / 12:47 pm

Himadri Joshi

Shubhanshu Shukla

Shubhanshu Shukla ( photo – ians )

अंतराष्ट्रिय स्पेस स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय शुभांशु शुक्ला ने अपने देश के स्कूली छात्रों से बातचीत कर अपना अंतरिक्ष में रहने का अनुभव सांझा किया। शुक्ला एक्सिओम मिशन – 4 के तहत स्पेस स्टेशन गए थे और वह पिछले सात दिनों से वहीं है। गुरुवार को इसरो के विद्यायर्थी संवाद कार्यक्रम के तहत शुक्ला ने देश के कई राज्यों के बच्चों से बातचीत की और उनके सवालों के जवाब दिए। इस दौरान छात्रों ने उनसे पूछा कि वह अंतरिक्ष में क्या खाते है, कैसे सोते है और बीमार पड़ जाने पर क्या होता है। बच्चों ने शुक्ला से अंतरिक्ष में शरीर के ढ़लने और वापस लौटने पर धरती के वातावरण को अपनाने से जुड़े सवाल भी किए।

स्पेस स्टेशन पर क्या खाते है अंतरिक्ष यात्री

अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन पर किस तरह का खाना खाते है यह पूछे जाने पर शुक्ला ने बताया कि, वह ज्यादातर खाना अपने साथ ही पैक कर के ले जाते है। इस खाने को पैक करते समय अंतरिक्ष यात्रियों के पोषण का पूरा ध्यान रखा जाता है और उसके अनुसार ही खाना पैक किया जाता है। यात्रा से पहले सभी यात्रियों से उनकी पसंद पुछी जाती है और उस पसंद के हिसाब से उनके लिए खाना पैक किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के दौरान शुक्ला ने बताया था कि वह गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस जैसी मिठाइयां अपने साथ अंतरिक्ष में लेकर गए है।

अकेलापन महसूस होने पर क्या करते है

परिवार से इतनी दूरी अंतरिक्ष में रहते हुए अकेलापन महसूस होने पर अंतरिक्ष यात्री कैसे अपनी भावनाओं को संभालते है यह सवाल किए जाने पर शुक्ला ने बच्चों को बताया कि अंतरिक्ष स्टेशन से वह और अन्य सभी यात्री अपने परिजनों से बातचीत कर सकते है। इसकी मदद से वह अपने परिवार से जुड़े रहते है और उन्हें अकेलापन नहीं महसूस होता है।

अंतरिक्ष स्टेशन में कैसे सोते है अंतरिक्ष यात्री

छात्रों ने शुक्ला से अंतरिक्ष में सोने की व्यवस्था के बारे में पूछा जिसका जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि, यहां पर सोना काफी मजेदार है क्योंकि यहां न तो फर्श है न छत। अगर आप अंतरिक्ष स्टेशन पर आते है तो आप यहां देखेंगे की कोई छतों पर सो रहा है तो कोई दिवारों पर। उन्होंने बताया कि वह आसानी से छत की तरफ तैरते हुए जाते है और खुद को वहां बांध लेते है। हालांकि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सोने से पहले अपने स्लीपिंग बैग बांध ले जिससे हम नींद में तैर कर किसी दूसरी जगह न पहुंच जाए।

कैसे होता स्पेस स्टेशन पर मनोरंजन

शुक्ला ने बताया कि स्पेस स्टेशन में मनोरंजन के लिए बहुत कम समय मिलता है, लेकिन वह कुछ देर समय निकाल कर अपने साथियों के साथ खेलते है। इसके अलावा वह स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम भी करते है। उन्होंने बताया कि स्पेस स्टेशन में एक साइकिल मौजूद है जिस पर वह व्यायाम करते है। खास बात यह है कि इस साइकिल पर कोई सीट नहीं है क्योंकि स्पेस स्टेशन पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण रहता है जहां इंसान तैर रहे होते है। ऐसे में साइकिल चलाने के लिए वह पैडल को लॉक कर के खुद को बेल्ट से बांध लेते है और फिर उसे चलाना शुरु करते है।

बीमार पड़ जाए तो क्या होता है

अगर अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन पर मौजूद कोई यात्री बीमार पड़ जाए तो क्या होता है, यह पूछे जाने पर शुक्ला ने बताया कि वह अपने साथ पर्याप्त दवाइयां और अन्य जरूरत का सामान रखते है ताकि ऐसा कुछ होने पर वह अपनी देखभाल कर सके।

बच्चों से बात करने के साथ साथ शुक्ला ने की परिवार से बात

स्कूली छात्रों से बातचीत करने के साथ ही शुक्ला ने गुरुवार को अंतरिक्ष में जाने के बाद पहली बार अपने परिवार से भी बातचीत की। यह शुक्ला के परिवार के लिए एक भावुक क्षण था। बातचीत के दौरान शुक्ला ने धरती पर बैठे अपने परिवार को अंतरिक्ष से सूर्योदय का नजारा दिखाया और अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा भी करवाया। शुक्ला ने परिवार के साथ अपना अनुभव सांझा किया। यह बातचीत लखनऊ के त्रिवेणी नगर में स्थित शुक्ला के घर पर की गई। 15 मिनट की इस बातचीत के दौरान शुभांशु ने पिता शंभूदयाल शुक्ला, मां आशा शुक्ला व बड़ी बहन शुचि मिश्रा और उनके बच्चों समेत अन्य परिवार के सदस्यों से बातचीत की। इस दौरान शुभांशु की पत्नी कामना शुक्ला अटलांटा से और उनकी सबसे बड़ी बहन निधि मिश्रा नोएडा से जुड़े।

दिनभर में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखते है शुक्ला

शुक्ला ने परिवार को बताया कि अंतराष्ट्रिय स्पेस स्टेशन 28 हजार 163 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती के चक्कर लगाते हुए केवल 90 मिनट में एक चक्कर पूरा कर लेता है। इसके चलते उन्हें दिनभर में 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखने का मौका मिलता है। बातचीत के दौरान भी सूर्योदय का समय हो रहा था तभी शुक्ला ने स्पेस स्टेशन की खिड़की से परिवार को सूर्योदय दिखाया।

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