‘कन्हैया प्रतिभावान नेता हैं’
प्रशांत किशोर ने कहा कि कन्हैया कुमार और उनके जैसे युवा नेताओं से राजद (RJD) के नेतृत्व को डर लगा रहता है। वह उन्हें आगे नहीं आने देना चाहते हैं। राजद को लगता है कि यदि कन्हैया कुमार जैसे युवा नेता बिहार की राजनीति में आगे आएंगे तो तेजस्वी के नेतृत्व को चुनौती मिलेगी। राष्ट्रीय जनता दल कभी नहीं चाहती है कि कन्हैया कुमार जैसा प्रभावशाली नेता कांग्रेस में सक्रिय रहे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बिहार में राजद की पिछलगू पार्टी है। कांग्रेस वही करती है जो राजद नेतृत्व उससे करने के लिए कहता है। प्रशांत किशोर ने कहा कि कन्हैया बिहार कांग्रेस में सबसे अधिक प्रतिभावान हैं। कांग्रेस यदि इन नेताओं का इस्तेमाल नहीं करती है तो यह दिखाता है कि वह बिहार में राजद की पिछलग्गू पार्टी है। दरअसल, प्रशांत किशोर की पूरी कवायद यही है कि वह इस मौके को भुनाकर कन्हैया कुमार को अपने पाले में कर लें। अगर वाकई में पीके इसमें कामयाब हो जाते हैं तो बिहार की राजनीति में भूकंप के झटके के समान होगा।
राजद को है कन्हैया से परेशानी
कहा जाता है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, कन्हैया कुमार की खूबियों से वाकिफ है। लालू नहीं चाहते हैं कि कन्हैया बिहार में पैर जमाए। छात्र राजनीति के दौरान कन्हैया जब जेल से छूटे थे तो बिहार लौटते ही उन्होंने लालू यादव से मुलाकात की थी। कन्हैया ने लालू यादव का पैर छूकर आशीर्वाद लेने की कोशिश की। इसके बावजूद भी 2019 के लोकसभा चुनाव में कन्हैया को राजद का समर्थन नहीं मिला। कन्हैया उस समय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे थे, उन्होंने राजद और लालू यादव से समर्थन की उम्मीद भी जताई थी, लेकिन राजद ने वहां अपना प्रत्याशी उतार दिया था। इसके बाद कन्हैया जब कांग्रेस में शामिल हुए तो एक बार फिर से कयास लगाया जाने लगा कि वह बेगूसराय से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। यहां एक बार फिर राजद की तरफ से उनके खिलाफ वीटो लगा दिया गया। इस कारण कन्हैया को 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस ने बीजेपी नेता मनोज तिवारी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा।
‘अभी 1 साल पहले तो हुआ है चुनाव’
प्रशांत किशोर ने वोटर लिस्ट पुनरीक्षण मामले में बयान दिया है। पीके ने कहा कि वोटर लिस्ट के विरोध में बहुत से लोग हैं। अभी एक साल पहले ही लोकसभा चुनाव हुआ है। चुनाव आयोग ने ही वोटर लिस्ट बनाया। आखिर एक साल के भीतर बिहार में ऐसा क्या हुआ कि पूरे लिस्ट में पुनरीक्षण की जरूरत आ गई है। उन्होंने कहा कि हमारी यही मांग है कि 2024 में लोकसभा चुनाव के लिए जिस लिस्ट का इस्तेमाल हुआ है उसी का इस्तेमाल यहां भी होना चाहिए।