बस में हुई मुलाकात, दोस्ती से प्यार तक का सफर
पूजा और मुश्ताक की मुलाकात 2022 में रुद्रपुर रोडवेज बस में हुई थी, जब पूजा गुरुग्राम जा रही थी। दोनों उत्तराखंड के रहने वाले थे, जिसके चलते उनकी बातचीत शुरू हुई। पूजा की मां की बीमारी के दौरान वह मुश्ताक की टैक्सी से अपनी मां को देखने गई, जिससे उनकी नजदीकियां बढ़ीं। जल्द ही दोनों ने गुरुग्राम में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला किया। पूजा एक स्पा सेंटर में काम करती थी, जबकि मुश्ताक टैक्सी चलाता था। दो साल तक दोनों साथ रहे, लेकिन रिश्ते में तनाव तब शुरू हुआ जब पूजा ने शादी की बात उठाई। मुश्ताक इसके लिए तैयार नहीं था। शादी का खुलासा बना हत्या की वजह
अक्टूबर 2024 में दोनों के बीच झगड़ा हुआ, जिसके बाद मुश्ताक पूजा को गुरुग्राम में छोड़कर सितारगंज, उत्तराखंड लौट गया। वहां परिवार के दबाव में उसने अपनी बिरादरी में एक लड़की, मुस्कान, से शादी कर ली। जब पूजा को इसकी भनक लगी, तो वह उत्तराखंड पहुंच गई और मुश्ताक से इस शादी का विरोध किया। उसने मुश्ताक के घर हंगामा किया और पुलिस में शिकायत की। गुस्से में आकर मुश्ताक ने पूजा को 15 नवंबर 2024 को अपनी बहन के घर खटीमा ले गया। अगले दिन, 16 नवंबर को, उसने पूजा को घुमाने के बहाने नहर के किनारे काली पुलिया के पास ले जाकर धारदार हथियार से उसका गला रेत दिया। उसने पूजा का सिर काटकर एक थैली में पत्थर के साथ नहर में बहा दिया और धड़ को बेडशीट में लपेटकर नहर के पास फेंक दिया।
गुमशुदगी से हत्या का खुलासा
19 दिसंबर 2024 को पूजा की बहन ने गुरुग्राम के सेक्टर-5 पुलिस स्टेशन में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की। पूजा के लापता होने की खबर के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और पता चला कि वह मुश्ताक के साथ लिव-इन में रहती थी। अप्रैल 2025 में सितारगंज पुलिस और गुरुग्राम पुलिस के संयुक्त अभियान में मुश्ताक को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने हत्या की बात कबूल की और नंदा नहर के पास शव फेंकने की जगह बताई। पुलिस ने वहां से सड़ा-गला कंकाल बरामद किया, जिसकी पहचान पूजा के भाई ने उसके दुपट्टे से की। हालांकि, सिर अभी तक नहीं मिला है, और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।
मुश्ताक के घर पर बुलडोजर कार्रवाई
5 मई 2025 को ऊधम सिंह नगर जिला प्रशासन और पुलिस ने मुश्ताक के पिता अली अहमद के घर को अवैध अतिक्रमण बताकर ढहा दिया। प्रशासन का कहना है कि यह घर अनुसूचित जनजाति (ST) की जमीन पर बनाया गया था, जो मथुरा सिंह के नाम पर दर्ज है। इस कार्रवाई को लेकर विवाद भी हुआ, क्योंकि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पहले ऐसी कार्रवाइयों पर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा था कि किसी के घर को सिर्फ आरोपी होने के आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता। फिर भी, प्रशासन ने कार्रवाई को अंजाम दिया।