विपक्ष ने चर्चा के दौरान पूछा कि हमला कैसे हुआ? क्या कोई खुफिया विफलता थी?
इस पर राजनाथ सिंह ने हमले की परिस्थितियों या अब तक की जांच पर आई जानकारी को लेकर चर्चा नहीं की। हालांकि, आज केंद्रीय गृह मंत्री आज इस बारे में जानकारी दे सकते हैं।
विपक्ष ने दूसरा सवाल किया कि पाकिस्तानी सेना ने भारतीय वायुसेना के कितने विमान गिराए?
ऑपरेशन सिंदूर के समय से ही यह बात उठाई जा रही है कि भारत-पाकिस्तान सैन्य झड़प के दौरान भारतीय वायुसेना को नुकसान पहुंचा है। दावा किया गया कि राफेल विमानों को नुकसान पहुंचा है। विपक्ष ने CDS अनिल चौहान के सिंगापुर में दिए बयान, ‘वायुसेना ने 7 मई को लड़ाकू विमान खो दिए थे, लेकिन पाकिस्तानी हवाई ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए तुरंत रणनीति बदल दी’ पर सरकार से सवाल पूछे। रक्षामंत्री ने इस सवाल पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि सवाल ही गलत है। किसी भी परीक्षा में परिणाम मायने रखता है। अगर कोई छात्र परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर रहा है तो हमारे लिए उसके अंक भी महत्वपूर्ण होने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर ध्यान नहीं देना चाहिए कि परीक्षा के दौरान उसकी पेंसिल टूट गई या पेन खो गया। अंततः परिणाम मायने रखता है और नतीजा यह है कि हमारी सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के लक्ष्यों को पूरी तरह हासिल कर लिया।
उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष का सवाल भारत की भावनाओं की प्रतिनिधित्व नहीं करता है। विपक्ष ने अभी तक यह नहीं पूछा है कि कितने पाकिस्तानी विमान मार गिराए गए। अगर वे सवाल पूछना ही चाहते हैं, तो उनका सवाल यह होना चाहिए कि क्या भारत ने आतंकी ठिकानों को नष्ट किया? इसका जवाब है हां। क्या हमारी बहनों और बेटियों के माथे से सिंदूर पोंछने वाले आतंकवादियों के आकाओं का नाश हुआ? इसका जवाब है हां। आपको पूछना चाहिए कि क्या हमारे सैनिकों को कोई नुकसान हुआ। इसका जवाब है नहीं। जब लक्ष्य बड़े हों, तो हमें तुलनात्मक रूप से छोटी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
विपक्ष ने पूछा कि युद्ध विराम में अमेरिका की क्या भूमिका थी?
राजनाथ सिंह ने इस सवाल पर सीधा-सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर इसलिए रोका गया क्योंकि हमने अपने राजनीतिक और सैन्य उद्देश्य पूरे कर लिए थे। यह कहना कि यह किसी दबाव में किया गया था, पूरी तरह से निराधार और गलत है, लेकिन विपक्ष के इस बयान पर विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने जरूर बात रखी। उन्होंने कहा कि सीजफायर को लेकर भारत ने पहल नहीं की थी। जयशंकर ने कहा कि 22 अप्रैल (पहलगाम आतंकी हमला) से 17 जून तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि 9 मई को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा था कि पाकिस्तान जवाबी हमला करने वाला है। जिस पर भारत ने कहा था कि वह पाकिस्तानी हमले का मुंहतोड़ जवाब देगा। इसके बाद पाकिस्तान को करारा जवाब दिया गया। फिर जब दुनिया के कई देशों ने कहा कि पाकिस्तान सीजफायर करना चाहता है तो भारत ने कहा कि यह बात पाकिस्तानी DGMO को भारतीय DGMO से कहना होगा। भारत-पाक सैन्य संघर्ष रोकने में कोई और पक्ष नहीं है। उनके भाषण के दौरान अमित शाह ने गुस्साते हुए विपक्ष को कहा था कि भारतीय विदेश मंत्री के बयान पर भरोसा नहीं है। जिसने संविधान की शपथ ली है। दूसरे देश के नेताओं पर यकीन है।