यह भी कह सकते हैं कि ये स्पेस में पृथ्वी से भेजा गया एक ‘जासूस’ होगा, जो प्राकृतिक आपदाओं को लेकर सबसे पहले अलर्ट कर देगा। इस सैटेलाइट का वजन 2,392 किलोग्राम है। यह 51.7 मीटर लंबा है। इसे भारत के GSLV-F16 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। निसार को सूर्य-समकालिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
यह हर 12 दिन पर पृथ्वी के भूभाग और बर्फ से ढकी सतहों को स्कैन करेगा। इसके अलावा, स्वीपएसएआर तकनीक का उपयोग करते हुए, 242 किलोमीटर के क्षेत्र में हाई-रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरें खींचेगा।
दुनिया भर के वैज्ञानिकों को होगा फायदा
बता दें कि पृथ्वी के अध्ययन के लिए इस तरह के मिशन (रिसोर्ससैट, रीसैट) पहले भी इसरो की तरफ से लॉन्च किए जा चुके हैं, लेकिन वह सिर्फ भारतीय क्षेत्र तक ही सीमित रहे। निसार मिशन का लक्ष्य अब पूरी पृथ्वी पर फोकस करना है। इससे दुनिया भर के वैज्ञानिकों को फायदा होगा। इस सैटेलाइट से हिमालय और अंटार्कटिका, उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों में स्थित ग्लेशियर्स पर जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, निसार के माध्यम से वनों की स्थिति और पर्वतों की स्थिति में आने वाले बदलाव के बारे में अध्ययन करने में मदद मिलेगी।
कैसे काम करता है निसार?
कुल मिलाकर, निसार भारत और अमेरिका के वैज्ञानिकों को आपदाओं की भविष्यवाणी करने में बड़ी मदद कर सकता है। बता दें कि निसार सैटेलाइट को बेहद खास तरिके से डिजाइन किया गया है। इसमें दो अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर काम करने वाले रडार लगाए गए हैं। दुनिया का पहला ऐसा सैटेलाइट है, जिसमें इस तरह की सुविधा है। इस सैटेलाइट में L-बैंड रडार को नासा के JPL ने बनाया है। वहीं, S-बैंड रडार को ISRO के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर, अहमदाबाद ने बनाया है। इन दोनों रडार की मदद से निसार अच्छी क्वालिटी की इमेज भेज सकता है। जिसकी मदद से पर्यावरण में किसी भी बदलाव को बारीकी को आसानी से पकड़ सकते हैं।
इन चीजों पर नजर रखेगा निसार
इसके अलावा, पहली बार NASA और ISRO ने साथ मिलकर अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट के लिए हार्डवेयर तैयार किया है। यह सैटेलाइट एक जासूस की तरह काम करेगा। यह भूकंप, भूस्खलन, जंगल की आग, बारिश, चक्रवाती तूफान, बारिश, बिजली का गिरना, ज्वालामुखी का फटना, टेक्टोनिक प्लेट्स की गतिविधि पर नजर रखेगा। इसके साथ, प्राकृतिक आपदाओं के होने से पहले ही यह दुनिया को अलर्ट कर देगा। निसार सैटेलाइट दुनिया में कहां और कब भूकंप आने वाला है, इसके बारे में भी जानकारी देगा।