भ्रष्टाचार के आरोप: फर्जी दस्तावेज और करोड़ों की हेराफेरी
लोकायुक्त ने बताया कि निदागुंडी और केआरआईडीएल के पूर्व इंजीनियर जेडएम चिंचोलकर ने मिल कर 96 अधूरी परियोजनाओं के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए और करीब 72 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।
लोकायुक्त की चल रही व्यापक छापेमारी
लोकायुक्त टीम सरकारी अधिकारियों की अवैध संपत्ति पर लगातार छापे मार रही है। हाल ही में हासन, चिक्काबलापुरा, चित्रदुर्ग और बेंगलुरु में पांच अधिकारियों के ठिकानों की तलाशी ली गई।
जांच के रडार पर हैं ये अधिकारी
लोकायुक्त की जांच में जयन्ना आर (कार्यकारी अभियंता, एनएचएआई), अंजनेय मूर्ति एम (जूनियर इंजीनियर, ग्रामीण पेयजल), डॉ. वेंकटेश (तालुक स्वास्थ्य अधिकारी), एन वेंकटेश (राजस्व अधिकारी) और के ओम प्रकाश (सहायक बागवानी निदेशक) शामिल हैं।
आईएएस अधिकारी सहित आठ पर संपत्ति छापे
23 जुलाई को आय से अधिक संपत्ति के आरोप में आठ अधिकारियों के ठिकानों पर छापा मारा गया। इसमें आईएएस अधिकारी वसंती अमर बी.वी. भी शामिल थीं। उनके कब्जे से 9.03 करोड़ रुपये की संपत्ति बरामद हुई, जिसमें तीन मकान, तीन एकड़ कृषि भूमि और महंगे वाहन शामिल थे।
बेंगलुरु, मैसूरु, तुमकुरु, कलबुर्गी और कोप्पल में भी छापे मारे गए
लोकायुक्त ने पूरे कर्नाटक के कई जिलों में 41 स्थानों पर तलाशी ली है। यह अभियान भ्रष्ट अधिकारियों की अवैध संपत्ति की जांच के तहत चल रहा है।
सरकारी भ्रष्टाचार की गंभीर तस्वीर
इस मामले से कर्नाटक में सरकारी भ्रष्टाचार की गंभीर तस्वीर सामने आई है, जहाँ कम वेतन पाने वाले अधिकारी भी करोड़ों की संपत्ति जमा कर लेते हैं। लोकायुक्त की कार्रवाई इस भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में अहम कदम है।
अधिकारियों की संपत्तियों की छानबीन जारी रहेगी
जानकारी के अनुसार आगे की जांच में और भी अधिकारियों की संपत्तियों की छानबीन जारी रहेगी। लोकायुक्त की टीम जल्द ही और खुलासे कर सकती है। राज्य के विकास कार्य भी प्रभावित
बहरहाल ये छापे सिर्फ व्यक्तिगत भ्रष्टाचार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि राज्य के विकास कार्यों को भी प्रभावित कर रहे हैं, क्योंकि अधूरी परियोजनाओं के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए गए थे।