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कौन हैं समिक भट्टाचार्य जो बने पश्चिम बंगाल BJP के नए अध्यक्ष, सामने है ये बड़ी चुनौतियां

Samik Bhattacharya: पश्चिम बंगाल BJP अध्यक्ष बनाए जाने के बाद समिक भटृाचार्य ने कहा कि BJP की लड़ाई मुस्लिमों से नहीं, बल्कि पत्थर उठाने वालों से है, BJP उनके हाथ में किताब देना चाहती है।

कोलकाताJul 09, 2025 / 01:49 pm

Shaitan Prajapat

पश्चिम बंगाल BJP के नए अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य (Photo-ANI)

Samik Bhattacharya new president West Bengal BJP: राज्यसभा सांसद समिक भट्टाचार्य को पश्चिम बंगाल BJP अध्यक्ष बनाए जाने के अगले ही दिन कोलकाता के मुरलीधर सेन लेन स्थित पार्टी मुख्यालय में बदलाव दिखने लगा। नेताओं की तस्वीरों वाले होर्डिंग हटाए गए, प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल की पृष्ठभूमि में अब सिर्फ कमल का चिन्ह नजर आने लगा। विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय बचा है, ऐसे में यह बदलाव केवल दिखावटी नहीं, बल्कि पार्टी की रणनीतिक दिशा में बदलाव का संकेत है।

समिक भट्टाचार्य की रणनीति में बदलाव

भट्टाचार्य ने अपने पहले दो भाषणों में मुस्लिम समुदाय और वामपंथी मतदाताओं के एक वर्ग को साधने की कोशिश की, राज्य इकाई में गुटों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया और बंगाल के देवी-देवताओं का उल्लेख कर सांस्कृतिक भावनाओं को जोड़ने का प्रयास किया। RSS पृष्ठभूमि और अटल बिहारी वाजपेयी के उदार हिंदुत्व मॉडल के करीब माने जाने वाले भट्टाचार्य के सामने राज्य में संगठनात्मक गुटबाजी, कमजोर जमीनी उपस्थिति और लगातार TMC से चुनाव हारने जैसी बड़ी चुनौतियां हैं।

मुस्लिम समुदाय पर संतुलित रुख

जब बंगाल BJP हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण में लगी है, तब भट्टाचार्य ने मुस्लिम समुदाय के प्रति संतुलन दिखाने की कोशिश की। अपने पहले भाषण में उन्होंने कहा, BJP की लड़ाई मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है। जो लोग हाथ में पत्थर लेकर खड़े हैं, BJP उनके हाथ में किताब देना चाहती है। हम ऐसा बंगाल चाहते हैं जहां मुहर्रम और दुर्गा पूजा विसर्जन की प्रक्रिया बिना दंगे के साथ-साथ निकले।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक हिंसा के 90% पीड़ित मुस्लिम हैं, और उनके परिवार CBI जांच चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि BJP बिना अल्पसंख्यक समुदाय के समर्थन के भी सरकार बना सकती है, और असम का उदाहरण दिया।
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लेफ्ट वोटरों को संकेत

भट्टाचार्य ने TMC विरोधी वामपंथी मतदाताओं को संकेत देने की कोशिश करते हुए कहा कि जनसंघ संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने विभाजन के दौरान बंगाल की पहचान बनाए रखने में ज्योति बसु का भी सहयोग लिया था। हालांकि, CPI(M) के नेता मोहम्मद सलीम ने इसे खारिज करते हुए इसे लोगों को भ्रमित करने की कोशिश बताया।

सांस्कृतिक बदलाव की कोशिश

BJP पर पहले जय श्रीराम पर ज्यादा फोकस और बंगाल के देवी-देवताओं की अनदेखी का आरोप लगता रहा। भट्टाचार्य की नियुक्ति के बाद पहले कार्यक्रम में मां काली की तस्वीर को माला पहनाई गई, ताकि सांस्कृतिक जुड़ाव दिखाया जा सके। TMC ने मोदी और मां काली की तस्वीर साथ लगाने पर BJP को पाखंड और अपमान कहकर निशाना बनाया।

गुटबाजी सबसे बड़ी चुनौती

BJP की बंगाल इकाई में सुवेंदु अधिकारी, पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष और पूर्व अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार के गुट बने हुए हैं। भट्टाचार्य ने कहा कि वह सभी के साथ मिलकर काम करेंगे। उन्होंने सुवेंदु अधिकारी की तारीफ करते हुए कहा, LOP (सुवेंदु) न केवल BJP कार्यकर्ताओं के दिल में रहते हैं बल्कि TMC भी दिन-रात उनका नाम लेती रहती है। दिलीप घोष को लेकर उन्होंने कहा कि वह पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हैं और “कहीं नहीं जा रहे, उन्हें उचित स्थान पर इस्तेमाल किया जाएगा।

अगले साल विधानसभा चुनाव, बड़ी रणनीति जरूरी

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले समिक भट्टाचार्य के सामने लेफ्ट और मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाना, संगठनात्मक गुटबाजी को खत्म करना और TMC के खिलाफ मजबूत रणनीति बनाना सबसे बड़ी चुनौतियां होंगी। भट्टाचार्य की रणनीति इस दिशा में BJP के लिए निर्णायक साबित हो सकती है कि बंगाल में पार्टी फिर से पैर जमा पाएगी या TMC के सामने कमजोर पड़ जाएगी।

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