दरअसल, चिराग पासवान गठबंधन में खटपट को लेकर सफाई दे रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि बिहार सरकार के खिलाफ तमाम बयानबाजी के बावजूद विधानसभा चुनाव के वक्त उन्हें गठबंधन में तव्वजो मिलेगा? इसका जवाब देते हुए चिराग ने कहा कि मेरा इतिहास ऐसा रहा है कि मेरी छवि को हमेशा सहजता से स्वीकार कर ली गई है।
जनता की बात सरकार के सामने रखता हूं- चिराग
उन्होंने कहा कि साल 2020 के विधानसभा चुनाव में मैंने गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था। हकीकत यह है कि मैं जनता की बात को गठबंधन के भीतर अपनी सरकार के सामने रखने की कोशिश करता हूं। चिराग ने कहा कि केंद्र सरकार का मैं हिस्सा हूं, मुझे वह मंच मिलता है, जहां मैं अपनी और जनता की बात को खुलकर रख सकता हूं। लेकिन मैं बिहार सरकार का हिस्सा नहीं हूं। वहां गठबंधन धर्म के नाते मैं सरकार का केवल सपोर्ट कर रहा हूं।
उन्होंने कहा कि जब हमारे एक भी विधायक ही नहीं हैं तो मैं सरकार का हिस्सा हो भी नहीं सकता हूं। कई बार लॉ एंड आर्डर के मामले सामने आते हैं। बिहार में जब आपराधिक घटनाएं होती हैं तो हमारा प्रयास रहता है कि मैं उन बातों को सरकार के सामने मजबूती से रख सकूं ताकि सकारात्मक फैसले लिए जा सके।
विपक्ष गुमराह करने की कोशिश करता है- चिराग
चिराग ने कहा कि विपक्ष मेरी बातों को लेकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश करता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि मैं वापस पिछले चुनाव यानी कि साल 2020 का काम फिर से दोहराऊंगा। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए गठबंधन इस बार भी जीत रहा है। हम 225 से ज्यादा सीटें जीतेंगे और सरकार बनाएंगे। हम साथ-साथ हैं। विपक्ष मेरी बातों को बढ़ा-चढ़ाकर हमारे बीच दरार दिखाने की पूरी कोशिश कर रहा है। मुझे नीतीश कुमार और उनके शासन पर भरोसा है।