बेटे को इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला दिलवाना था सपना
शिजो के रिश्तेदार से मिली जानकारी के अनुसार, अपने बेटे को इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला दिलवाना शिजो का सपना था। लेकिन पैसों की समस्या के चलते वह ऐसा नहीं कर पाए और इसी बात से वह काफी आहत थे। कथित तौर पर शिजो तमिलनाडु के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में अपने बेटे को दाखिला दिलवाना चाहते थे। शिजो की मौत के बाद उनके एक रिश्तेदार ने मीडिया बातचीत के दौरान कहा कि, तमिलनाडु के इरोड में अपने बेटे के कॉलेज में दाखिले के लिए जरूरी पैसे नहीं जुटा पाने के चलते शिजो बेहद तनाव में था।
पत्नी को भी पिछले 12 सालों से नहीं मिला था वेतन
शिजो की पत्नी लेखा रवींद्रन भी एक स्कूल में शिक्षिका है लेकिन पिछले 12 सालों से उन्हें भी वेतन नहीं मिला था जिसके चलते परिवार आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा था। परिवार के अनुसार, केरल उच्च न्यायालय ने शिक्षा विभाग को वेतन जारी करने का निर्देश दिया था लेकिन कथित नौकरशाही देरी और जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से कार्रवाई न करने के चलते लेखा तक यह पैसे पहुंचा ही नहीं। स्कूल प्रबंधन ने भी लेखा के वेतन को लेकर जिला शिक्षा कार्यालय से संपर्क किया था लेकिन उन्हें भी कोई जवाब नहीं दिया गया।
राज्य में पहले भी सामने आ चुके ऐसे मामले
शिजो की मौत का यह मामला राज्य में गरीबी के चलते आत्महत्या करने के एक चिंताजनक पैटर्न को दर्शाता है। हाल ही के वर्षों में राज्य में कई ऐसे मामले सामने आए है जहां पैसों की परेशानी के चलते कोई व्यक्ति अपनी जान देने पर मजबूर हुआ हो। इन मामलों में ऋण वसूली और कृषि ऋण से जुड़े भी कई मामले शामिल थे। ऐसा ही एक मामला पिछले साल तिरुवनंतपुरम के वक्कम में सामने आया था जहां पैसों की तंगी और कर्ज से तंग आकर एक ही परिवार के चार लोगों ने एक साथ आत्महत्या कर ली थी।