इस्लामाबाद के इस प्रदर्शन से भारत के उस आरोप की पुष्टि होती है कि पाकिस्तान का उधार लेने और कार्यान्वयन का रेकॉर्ड बहुत खराब है। भारत लंबे समय से पाकिस्तान को दिए जाने वाले इन कर्जों का विरोध करते हुए कहता रहा है कि इस्लामाबाद अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से आने वाले धन का इस्तेमाल राज्य-प्रायोजित सीमा-पार आतंकवादी गतिविधियों में करता है।
आइएमएफ की पिछली बैठक में भी भारत के प्रतिनिधि परमेश्वरन अय्यर ने कहा था कि वैश्विक वित्तीय संस्थानों द्वारा अपनाई जाने वाली कर्ज अनुमोदन प्रक्रियाओं में नैतिक मूल्यों को उचित महत्व दिया जाए।
भारत का ध्यान खींचने को हर हथकंडा अपना रहा पाक
भारत द्वारा सिंधु समझौता रद्द किए जाने के बाद पाकिस्तान इस मुद्दे को उठाने के लिए हर हथकंडा अपना रहा है। कूटनीतिक प्रयासों व बातचीत की गुहार लगाने में विफलता मिलने के बाद अब पाकिस्तान के रहनुमा भारत को युद्ध व परमाणु हमले की गीदड़भभकियां देने में जुटे हैं। ताजा बयान पाक पीएम शहबाज शरीफ का है। शरीफ ने कहा है कि दुश्मन पाक से पानी की एक बूंद भी नहीं छीन सकता। यदि कोशिश की तो हम युद्ध को तैयार हैं।
आतंक के खिलाफ कार्रवाई, तभी राहत
उधर, सिंधु जल संधि पर भारत द्वारा एक तरफा रोक लगा दिए जाने के बाद अब भारत ने एक अंतराष्ट्रीय मध्यस्थ कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया है जिसमें पश्चिमी नदियों (चिनाब, झेलम और सिंधु) पर भारत द्वारा निर्मित की जाने वाली नई जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन मानदंडों की व्याख्या की मांग की गई है।