सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एनके सिंह की पीठ विजय मदनलाल चौधरी मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। एएसजी एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि अभियुक्त को प्रवर्तन केस सूचना रिपोर्ट की कॉपी देना अनिवार्य नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि ऐसे मामलों में आरोपी अन्य देशों में भाग जाते हैं, जिससे जांच में परेशानी आती है।
ठगों (आरोपी) के पास बहुत साधन होते हैं, जांच अधिकारियों के पास उतने साधन नहीं होते। इस पर जस्टिस भुइयां ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा आप (ईडी) ठग की तरह बर्ताव न करें, आपको कानून के दायरे में काम करना होगा। जांच और गवाहो को बेहतर बनाइए, ताकि दोषियों को सजा मिल सके।
पहले भी उठ चुके हैं ईडी पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट पहले भी ईडी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुका है। पिछले माह सीजेआइ बीआर गवाई ने भी कहा था कि ईडी सारी हदें पार कर रहा है। उस समय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से ऐसी टिप्पणी न करने का आग्रह किया था, जिससे केंद्रीय एजेंसी के खिलाफ नई कहानी गढ़ने के प्रयासों को बढ़ावा मिले।
पश्चिम बंगाल में ईडी की कार्रवाई
उधर, ईडी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा कपड़ा विभाग के प्रभारी मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा के खिलाफ राज्य के सरकारी स्कूलों में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताओं के मामले में आरोप पत्र दायर किया। सिन्हा बंगाल सरकार के दूसरे मंत्री हैं, जिनके खिलाफ ईडी ने इस मामले में आरोप पत्र दायर किया है। इससे पहले ईडी ने पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
केंद्रीय जांच एजेंसी के एक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि ईडी ने बुधवार को कोलकाता स्थित धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत में मंत्री सिन्हा के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
सिन्हा बीरभूम जिले के बोलपुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार तृणमूल विधायक रहे हैं। प्राथमिक भर्ती मामले में ईडी द्वारा उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए जाने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए, मंत्री ने कहा कि उन्होंने इसके बारे में सुना है।